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झारखंड बेरोजगारी में दूसरे नंबर पर

रांचीः नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की रिपोर्ट (2009-10) के अनुसार, झारखंड में कुल 27.6 फीसदी लोग बेरोजगार हैं. इनकी उम्र 15 से 59 वर्ष के बीच है. बेरोजगारी के मामले में झारखंड से आगे सिर्फ गोवा है. गोवा में 28.2 फीसदी लोग बेरोजगार हैं. पड़ोसी राज्य बिहार की स्थिति झारखंड से काफी बेहतर है. बिहार […]

रांचीः नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की रिपोर्ट (2009-10) के अनुसार, झारखंड में कुल 27.6 फीसदी लोग बेरोजगार हैं. इनकी उम्र 15 से 59 वर्ष के बीच है. बेरोजगारी के मामले में झारखंड से आगे सिर्फ गोवा है. गोवा में 28.2 फीसदी लोग बेरोजगार हैं. पड़ोसी राज्य बिहार की स्थिति झारखंड से काफी बेहतर है. बिहार में 17 फीसदी लोगों के पास रोजगार नहीं है.

शिक्षा और रोजगार के अवसर कम हैं कारण : विशेषज्ञों के अनुसार, शिक्षा और रोजगार के अवसर कम होना बेरोजगारी के कारण हैं. एनएसएस की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 43.9 फीसदी लोगों ने प्राथमिक कक्षा तक की पढ़ाई भी नहीं की है. हालांकि इस मामले में झारखंड की स्थिति बिहार से बेहतर है. बिहार में ऐसे लोगों की संख्या 46.9 फीसदी है, जो देश में सर्वाधिक है. इस मामले में उत्तर प्रदेश, राजस्थान व आंध्र प्रदेश की स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है.

अगले 10 वर्षो में गंभीर हो सकती है स्थिति : रिपोर्ट के अनुसार, 14 या उससे कम उम्र की आबादी के मामले में बिहार देश भर में अव्वल है. बिहार में ऐसे किशोरों की आबादी 37.4 फीसदी है. वहीं झारखंड में किशोरों की आबादी 34.9 फीसदी है. अगर पढ़ाई-लिखाई और रोजगार की स्थिति नहीं सुधरी तो, राज्य सरकारों को गंभीर समस्या से जूझना होगा. अगले 10 वर्ष में यह आबादी संबंधित राज्यों में रोजगार मागेंगी. रोजगार नहीं मिला, तो नक्सलवाद व अपराध के साथ-साथ हताशा भी बढ़ेगी.

क्या करना होगा
सांसदों को विभिन्न आंकड़े उपलब्ध करा उन्हें नीतिगत मुद्दों पर समृद्ध करनेवाली संस्था पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च ने बेरोजगारी के मुद्दे पर कार्यशाला आयोजित की थी. माह भर पहले देश के कुल 13 राज्यों (बिहार, झारखंड नहीं) के 55 विधायकों ने इसमें भाग लिया था. ये विधायक विभिन्न राजनीतिक दलों के थे. तीन दिवसीय इस कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रोजगार के अवसर पैदा करने व समावेशी विकास के कई टिप्स दिये थे. जैसे.

-समावेशी विकास में संघीय व्यवस्था व राज्यों की भूमिका को समझना -मानव संसाधन की क्षति रोकने के लिए जरूरी नीति बनाना

-मौजूदा दौर में रोजगार के लिए जरूरी कौशल, इसकी मांग व कमी का अध्ययन

-व्यावसायिक शिक्षा में निजी भागीदारी की जरूरत
-मनरेगा व रोजगार देनेवाली विभिन्न योजनाओं का अपने निर्वाचन क्षेत्र में अधिकाधिक लाभ उठाना

-मैनुफैरिंग पॉलिसी व विकास में इसकी क्षमता का अंतर संबंध समझना वाहन व अन्य उद्योग के जरिये रोजगार उपलब्ध कराना तथा सूचना तकनीक के क्षेत्र में लोगों का कौशल विकास.

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