नयी दिल्ली : नक्सल प्रभावित राज्यों के दूर दराज के इलाकों में केंद्रीय अर्धसैन्य बल बंदूकों के बजाए कपड़े, दवाइयां और ट्रांजिस्टर आदि के साथ नए अवतार में नजर आएंगे ताकि वे ग्रामीणों का दिल जीत सकें. सैन्य बल नक्सलवाद प्रभावित इलाकों में प्रतिवर्ष 20 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से पेयजल मुहैया कराने और चिकित्सकीय शिविर एवं कुशलता के विकास के लिए कार्यक्रम आयोजित करने के लिए बड़े स्तर पर एक जनकल्याण कार्यक्रम शुरु करेंगे.
गृह मंत्रालय ने इस कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है. नक्सलवाद के खिलाफ अभियानों में शामिल चार अर्धसैन्य बल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस और सौराष्ट्र सीमा बल यह कार्यक्रम आयोजित करेंगे. यह कार्यक्रम नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित नौ राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में आयोजित किया जाएगा.
इसके तहत सैन्य बल स्वास्थ्य, चिकित्सा, दंत एवं पशु चिकित्सा शिविर आयोजित करने के अलावा मरीजों को दवाइयां बांटने, रोग की जांच की लागत वहन करने, मलेरिया प्रभावित इलाकों में मच्छरदानियां बांटने और बीमारों एवं गर्भवती महिलाओं को इलाज के लिए निकटवर्ती स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचाने का कार्य करेंगे. माओवादी प्रभावित इलाकों में रह रहे युवकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण और करियर संबंधी सलाह दी जाएगी. उन्हें अध्ययन सामग्री भी मुहैया कराई जाएगी.
किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज एवं उर्वरक दिए जाएंगे और सहकारी कृषि को उनके बीच प्रोत्साहित किया जाएगा. पेयजल मुहैया कराने के लिए हैंडपंप लगाए जाएंगे इसके इलावा उर्जा के गैर परंपरागत स्नेतों का विकास किया जाएगा. सैन्य बल स्थानीय हस्तशिल्प एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करेंगे, खेल सुविधाओं का विकास करेंगे, बच्चों एवं युवकों को खेलों संबंधी सामान मुहैया कराएंगे और खेल टूर्नामेंट भी आयोजित करेंगे.
गरीबों, बच्चों, वृद्धों और विकलांगों को कपड़े और कंबल मुहैया कराए जाएंगे. आर्थिक रुप से पिछड़े परिवारों को एल्यूमीनियम के बर्तन और चाकू आदि दिए जाएंगे. इसके अलावा सैन्य बल भारत के स्वतंत्रता संग्राम, देश के विभिन्न इलाकों की संस्कृति और दहेज एवं बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों समेत विभिन्न विषयों पर नियमित अंतराल पर फिल्म शो आयोजित करेंगे.