गया: गया जंकशन पर पिछले तीन महीनों में सात बार अधिकारियों का दौरा हुआ. हर बार व्यवस्था में सुधार लाने के लिए कई निर्देश दिये गये. पर, नतीजा सिफर (शून्य) रहा. अधिकारियों के आगमन के समय ही जंकशन पर कुछ व्यवस्था दिखती है. इसके बाद फिर पुरानी कहानी और जंकशन पर अव्यवस्थाओं को आलम. सवाल यह है कि आखिर क्यों स्टेशन प्रबंधन अपने आला अधिकारियों की नहीं सुनते ? या फिर अधिकारी दिशा-निर्देश देने का दिखावा कर कोरम पूरा करते हैं.
कारण चाहे जो भी हो, लेकिन फजीहत शहरवासियों व यात्रियों को ङोलनी पड़ती है. स्टेशन की कुव्यवस्था के लिए शहर को हर रोज बाहर से आने वाले पर्यटकों से सामने शर्मसार होनापड़ता है.
अधिकारी के आने पर ही व्यवस्था
जिस दिन स्टेशन के बाहरी परिसर में दुकानें नजर नहीं आये और ऑटो रिक्शा भी कतार में दिखे, तो यात्रियों और शहर के लोगों को लिए यह समझना आसान हो जाता है कि किसी बड़े अधिकारी का दौरा है. जंकशन पर प्लेटफॉर्मो पर भी यही स्थिति है. पटरियों पर चूने का छिड़काव, प्लेटफॉर्म पर सफाई या फिर यात्रियों को सावधान करने के लिए घोषणाएं हों, तो समझ जायें कि वरीय अधिकारी आने वाले हैं.
हाल के महत्वपूर्ण दौरे
पिछले तीन महीनों में गया जंकशन पर अधिकारियों के सात दौरे हो चुके हैं. 15 जून को हाजीपुर जोन के महाप्रबंधक, 23 जून को फिर से हाजीपुर जोन के महाप्रबंधक, 30 जून को मुगलसराय डिवीजन के डीआरएम, 11 जुलाई को दानापुर डिवीजन के डीआरएम, 13 जुलाई को वाणिज्य प्रबंधक, एक अगस्त को मुख्य वाणिज्य प्रबंधक और 24 अगस्त को रेलवे बोर्ड के एजिक्युटिव डायरेक्टर के दौर हुए.