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500 क्यूसेक पानी का दबाव भी नहीं ङोल रही तिरहुत नहर

साहेबगंज: तिरहुत नहर के जीर्णोद्धार में भारी अनियमितता हुई है. तटबंध के जीर्णोद्धार में लगी कंपनी ने खेतों से मिट्टी कटाई का मुआवजा किसानों को नहीं दिया. कंपनी के कार्य से किसानों की भूमि भी बरबाद हो गयी. सतह पर प्लास्टिक बिछा कर मिट्टी भराई किये बिना ही ईंट सोलिंग कर प्लास्टर कर दिया गया. […]

साहेबगंज: तिरहुत नहर के जीर्णोद्धार में भारी अनियमितता हुई है. तटबंध के जीर्णोद्धार में लगी कंपनी ने खेतों से मिट्टी कटाई का मुआवजा किसानों को नहीं दिया. कंपनी के कार्य से किसानों की भूमि भी बरबाद हो गयी. सतह पर प्लास्टिक बिछा कर मिट्टी भराई किये बिना ही ईंट सोलिंग कर प्लास्टर कर दिया गया. नहर टूटने पर ईंट कहीं और बालू-सीमेंट कहीं और नजर आता है. बालू व सीमेंट का अनुपात भी मानक के अनुसार नहीं होता है.

इस तरह घटिया निर्माण के कारण तटबंध टूटने लगा है. इस कैनाल में पानी बहाव की क्षमता 13 सौ क्यूसेक है. फिलवक्त नहर में 418 क्यूसेक पानी का बहाव हो रहा है. लोगों का मानना है कि 13 सौ क्यूसेक पानी के बहाव की बात तो दूर की चीज है, यदि आठ सौ क्यूसेक ही पानी छोड़ दिया जाय तो बांध को टूटने से कोई नहीं बचा सकता है. इसका प्रमाण है कि पिछले साल सात सौ क्यूसेक पानी के दबाव के कारण भलुहीखान में बांध टूट गया था.

घटिया निर्माण का विरोध
रामपुर असली निवासी पूर्व मुखिया शैलेंद्र महतो ने बताया कि जीर्णोद्धार में घटिया निर्माण का विरोध किया था. अधिकारियों ने कार्य में फिर से सुधार का भरोसा दिलाया था, परंतु सुधार नहीं हुआ.

दोस्तपुर नया टोला निवासी विश्वनाथ महतो ने बताया कि घटिया निर्माण किये जाने की शिकायत एसडीओ सुरेंद्र प्रसाद से की थी. उन्होंने कहा कि ठेकेदार है, इस कारण खोजबीन नहीं की जा सकती है. विभागीय कार्रवाई से मनाही की गयी है.

विशुनपुर पट्टी निवासी पूर्व पंसस महेश साह ने कहा कि आरडी 46 के समीप जीर्णोद्धार नहीं हुआ है. वहां पानी के लीकेज के कारण खेतों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. अधिकारियों ने अब तक ध्यान नहीं दिया है. तेलिया छपड़ा निवासी विश्वनाथ साह बताते हैं खेती के लिए नहर में पानी समय से नहीं आता है. कभी-कभी तो रबी फसलों की बुआई के समय खेतों में पानी जमा हो जाता है.

भलुही रसूल निवासी डॉ बी लाल ने बताया, वैशाली कैनाल निर्माण के नाम पर लूट मची है. मानक के अनुरूप निर्माण होता तो क्षमता के अनुरूप इसमें पानी छोड़ा जाता. तब पानी का सतह खेती की जमीन से ऊंचा होता है.

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