नयी दिल्ली: भाजपा नेता अरुण जेटली ने आज आरोप लगाया कि संप्रग सरकार में सत्ता के दोहरे केंद्र हैं जिसके तहत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ही ‘‘अंतिम फैसला’’ करती हैं जबकि प्रधानमंत्री की ‘‘कोई जवाबदेही’’ नहीं है जैसा कि लोकतंत्र में होनी चाहिए. जेटली इसे व्यवस्था में ‘‘ढांचागत खामी’’ करार दिया जिसके कारण देश को ‘‘बड़ी कीमत’’ चुकानी पड़ी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री में ‘‘नेतृत्व’’ का अभाव है जबकि मंत्रियों को सोनिया के आगे ‘‘झुकना’’ पड़ता है क्योंकि उनका ‘‘दबदबा एवं प्रभाव’’ है.
उन्होंने कहा, ‘‘यह नेतृत्व का एक गंभीर संकट है..लोकतंत्र में प्रधानमंत्री अंतिम निर्णय करते हैं. इसी लिए प्रधानमंत्री वह व्यक्ति होना चाहिए जिसका राजनीतिक दबदबा एवं राजनीतिक अनुभव सबसे ज्यादा हो.’’ राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने यहां ‘‘भारत 2020.आगे की चुनौतियां’’ शीर्षक व्याख्यान में कहा, ‘‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री की जवाबदेही होती है. इस शासनकाल में ऐसा नहीं हुआ. यह भविष्य के लिए एक सबक है.’’उन्होंने कहा कि राष्ट्र को ऐसे नेतृत्व की जरुरत है जिसकी देश को मौजूदा संकट से बाहर निकालने के मामले में प्रमाणित क्षमता हो.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘आज इस देश को एक ऐसे नेतृत्व की जरुरत है जिसकी क्षमता प्रमाणित हो..दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आप प्रमाणित क्षमता के आधार पर नेतृत्व बनाते हैं अथवा यह वंशवादी लोकतंत्र बन जायेगा.’’उन्होंने सोनिया का नाम लिये बिना कहा कि सरकार में उनका प्रभाव अधिक है और कोई उनसे सवाल नहीं करता. जेटली ने कहा, ‘‘एक विशिष्ट व्यक्ति के कारण.. जिसका दबदबा एवं प्रभाव इतना है कि मंत्रियों को उसकी बात के आगे झुकना पड़ता है और वह अंतिम फैसला हो जाता है. कोई भी सरकार इस तरह नहीं चलायी जा सकती..’’
उन्होंने कहा, ‘‘सलाहकार परिषद चुनाव नहीं लड़ती बल्कि मंत्री लडते हैं. उन्होंने उस योजना के लिए कहा है जिसमें 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करके भी कोई संपत्ति नहीं बनायी गयी. और उस पर कोई सवाल भी नहीं उठाता. यह हमारी व्यवस्था की ढांचागत खामी है.’’ जेटली ने कहा, ‘‘देश ने इस भूल के लिए भारी कीमत चुकायी है.’’उन्होंने कहा कि देश में पिछले नौ साल के संप्रग शासन को ‘‘व्यर्थ गया मौका’’ करार दिया और कहा कि देश नीतिगत अपंगता के शिंकजे में रहा जिसका प्रभाव अब देखने को मिल रहा है. भाजपा नेता ने विपक्ष एवं केंद्र के बीच संबंध में आयी जड़ता को सरकार चला रहे लोगों के ‘‘दंभ’’ का नतीजा करार दिया.