पटना : तीन माह के प्रशिक्षण के बाद आखिरकार महिला ऑटोचालकों ने स्टीयरिंग संभाल ही ली. पटना जंकशन के प्री पेड ऑटो स्टैंड में रविवार को जैसे ही सात महिला ऑटोचालकों ने स्टीयरिंग पकड़ी, लोगों ने तालियों से इसका स्वागत किया.
राहगीरों में इन ऑटोचालकों की एक झलक पाने की होड़–सी मच गयी. सभी राजधानी के बदले माहौल व सरकार के इस कदम से समाज में जानेवाले सकारात्मक संकेत की चर्चा कर रहे थे. वहीं, पहली बार व्यस्त सड़क पर ऑटो की स्टीयरिंग थाम ये चालक भी उत्साह में थीं. जैसे वे कह रही हों, हम अब रफ्तार भरने को तैयार हैं.
आर्थिक संकट हुआ दूर : इन चालकों के चेहरे पर परिवार को आर्थिक संकट से निकालने की आशा व बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की खुशी साफ दिख रही थी. आनंदपुरी की पिंकी देवी ने कहा कि काफी दिनों से रोजगार की तलाश कर रही थी.
आज प्रयास सफल हुआ. संघ के लोगों ने स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया, उन्हें धन्यवाद. वहीं, विधवा कंचन कुमारी ने कहा कि परिवार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा था. ऐसे में स्वरोजगार से अच्छा क्या हो सकता है.
सात ने खुद खरीदा ऑटो
पटना जिला ऑटो रिक्शाचालक संघ के बैनर तले तीन माह से 14 महिलाओं को ऑटो रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. साथ ही इन्हें मार्शल आर्ट की भी ट्रेनिंग दी गयी है, ताकि छोटी–मोटी परेशानियों से वे खुद निबट लें. प्रशिक्षित महिला ऑटोचालकों में से सात ने लोन पर ऑटो खरीदा और खुद ही उसका निबंधन शुल्क भी दिया है.
संघ के महासचिव राजकुमार झा ने कहा कि सरकार ने घोषणा की थी कि महिला ऑटोचालकों को ऋण देने में सुविधा व निबंधन शुल्क नहीं लगेगा, लेकिन सरकार की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला है.
मौके पर को–ओडिनेशन कमेटी ऑफ ट्रेड यूनियन्स एंड एसोसिएशन के संयोजक मंजुल कुमार दास, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महासचिव राज किशोर, संघ के सचिव नवीन मिश्र, चुन्नू सिंह, सत्येंद्र कुमार, ओम प्रकाश, ददन पांडेय आदि मौजूद थे.