।।दक्षा वैदकर।।
मेरे परिचितों में कुछ लोग ऐसे हैं, जो हमेशा ही उदास दिखते हैं. उनसे जब भी पूछिए कि तुम खुश क्यों नहीं दिखते, वे यही कहते हैं कि मेरी जिंदगी में इतनी सारी तकलीफें हैं कि अगर तुम उनसे गुजरती, तो तुम्हारा भी यही हाल होता. मैंने बचपन से लेकर आज तक कई दुख देखे हैं इसलिए मेरे चेहरे से हंसी गायब है. जब मैं खुद दुखी हूं, तो लोगों को कैसे हंसा सकता हूं. ऐसा जवाब देनेवाले दोस्तों को मैं किसी महान व्यक्ति का उदाहरण तो नहीं देती, लेकिन हां रोजाना टीवी पर नजर आने वाले कॉमेडी किंग सुदेश लहरी के बारे में जरूर बताती हूं.
लोगों को हंसने पर मजबूर कर देनेवाले सुदेश को भी क्या कोई तकलीफ है? उसे भी रोना आता है? जब यह सवाल एक इंटरव्यू में मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने कहा ‘बचपन में पिता की शराब की लत और घर के तंग हालातों ने मेरे कंधे पर बहुत सारी जिम्मेवारियां डाल दीं. मेरे पिताजी गोल्ड का काम करते थे, जिससे उन्हें 100-200 रुपये मिल जाते थे. वे रुपये हमारे परिवार को चलाने के लिए पूरे भी पड़ जाते, लेकिन मेरे पिता की शराब की लत इतनी बुरी थी कि वे सारे रुपये उसमें उड़ा देते. तब मां की मदद करने के लिए मैंने चाय की दुकान में काम करना शुरू किया. मुङो वहां रोज एक रुपया मिलता. हमारे पास पहनने के लिए चप्पल नहीं हुआ करती थी. सिर्फ एक जोड़ी चप्पल ही थी इसलिए जब मुङो कहीं बाहर जाना होता, तो मैं दीदी के आने का इंतजार करता. हम बारी-बारी से चप्पल पहन कर जाया करते.
वे बताते हैं कि मुङो जालंधर में कई कार्यक्रमों में सम्मानित किया गया. सम्मान के रूप में शील्ड, शॉल या नारियल मिला करता था. कभी-कभी रुपये मिलते थे. एक बार हमारे घर में खाने को कुछ भी नहीं था. तभी एक संस्था के लोग आये और उन्होंने कहा कि हम आपको सम्मानित करना चाहते हैं. मैंने उनसे कहा कि आप सम्मान में क्या देनेवाले हो? उन्होंने कहा, एक शील्ड और शॉल. तब मैंने उनसे कहा कि मुङो पहले के सम्मानों में जो शील्ड व शॉल मिली है, वह मैं आपको दे देता हूं. आप मंच पर सभी के सामने वही मुङो दे देना. अभी जो आपकी शील्ड और शॉल का रुपया मैंने बचाया है, वह मुङो नकद दे दो. घर में खाने को कुछ नहीं है.
बात पते कीःहर व्यक्ति को लगता है कि उसी ने सबसे ज्यादा दुख ङोले हैं, लेकिन सच तो यह है कि हमसे भी ज्यादा दुख ङोल चुके लोग हिम्मत के साथ लड़ रहे हैं.
हर हंसते चेहरे के पीछे खुशी नहीं होती और हर दुख का हल रोते रहना नहीं है. दुखों का सामना करना व सबसे बड़ी बात हंसते हुए करना ही जिंदगी है.