नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के समर्थन में कथित रुप से फेसबुक पर टिप्पणी लिखने के कारण एक दलित विद्वान की गिरफ्तारी के मामले में आज उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया.न्यायमूर्ति एच एल गोखले की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके लेखक कंवल भारती की गिरफ्तारी करने के मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया.
दलितों की समस्याओं पर अनेक पुस्तकें लिखने वाले भारती ने फेसबुक पर लिखा था कि गौतमबुद्ध नगर की एसडीएम को मस्जिद की दीवार कथित रुप से गिराने के आरोप में निलंबित किया गया है. भारती को बाद में जमानत मिल गयी थी. शीर्ष अदालत ने 16 मई को कहा था कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कथित रुप से आपत्तिजनक टिप्पणी लिखने वाले व्यक्ति को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनुमति के बगैर गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
न्यायालय ने राज्य सरकार को केंद्र सरकार के परामर्श पर सख्ती से अमल करने का निर्देश दिया था. केंद्र सरकार ने इस परामर्श में कहा था कि पुलिस महानिरीक्षक या पुलिस उपायुक्त या पुलिस अधिकारी स्तर से पूर्वानुमति के बगैर ऐसे मामलों में किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाये. फेसबुक पर टिप्पणी लिखने के कारण लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में उपजे जनाक्रोश के मद्देनजर केंद्र सरकार ने नौ जनवरी को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिये यह परामर्श जारी किया था.
शीर्ष अदालत ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 66-ए की वैधानिकता को चुनौती देने संबंधी मामला लंबित होने के दौरान फेसबुक पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियां लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से अधिकारियों को रोक दिया था. धारा 66-ए के तहत कम्प्यूटर के जरिये इस तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी करने या चरित्र हनन के आरोप में ऐसा करने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती है.