नयी दिल्ली: योजना आयोग के गरीबी रेखा के आंकड़ों पर हाल में उठे विवाद के मद्देनजर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि गरीबी को आंकना मुश्किल काम है क्योंकि इसकी परिभाषा को लेकर अलग अलग विचार हैं.
सिंह ने कहा ‘‘गरीबी को मापना मुश्किल काम है. गरीबी की परिभाषा के बारे में अलग अलग विचार हैं. लेकिन हम इसकी जो भी परिभाषा अपनाते हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 2004 के बाद से गरीबी घटने की रफ्तार तेज हुई है.’’गरीबी को लेकर योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों को लेकर कुछ सप्ताह पहले बड़ा विवाद खड़ा हुआ था.प्रधानमंत्री की मामले में यह टिप्पणी आज 67वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आई है. यह विवाद तब पैदा हुआ जबकि योजना आयोग ने कहा कि शहरों में 33.33 रपए प्रति दिन और गांवों में 27.20 रपए प्रति दिन से अधिक खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है. इसके आधार पर आयोग ने आकलन किया कि देश में गरीबी का अनुपात 2011-12 में घटकर 21.9 प्रतिशत रह गया जो 2004-05 में 37.2 प्रतिशत पर था. योजना आयोग ने गरीबी को परिभाषित करने के लिए जिन मानकों का उपयोग किया उसकी विपक्ष और सत्ताधारी गठबंधन के कई घटकों ने यह कहते हुए आलोचना की कि ये आंकड़े अवास्तविक हैं.