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वनाधिकार अधिनियम पर केंद्र ईमानदार नहीं: करात

अगरतला: मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज आरोप लगाया कि केंद्र वनाधिकार अधिनियम (एफआरए) लागू करने के प्रति ईमानदार नहीं है ताकि कारपोरेट घरानों के हितों की सुरक्षा हो.माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जंगल के इलाकों में उत्खनन और विकास कार्यों के नाम पर कारपोरेट घराने लोगों को लूट […]

अगरतला: मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आज आरोप लगाया कि केंद्र वनाधिकार अधिनियम (एफआरए) लागू करने के प्रति ईमानदार नहीं है ताकि कारपोरेट घरानों के हितों की सुरक्षा हो.माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जंगल के इलाकों में उत्खनन और विकास कार्यों के नाम पर कारपोरेट घराने लोगों को लूट रहे हैं और अगर वनाधिकार अधिनियम जंगल के इलाकों में उचित ढंग से लागू किया जाता है तो कारपोरेट घरानों के हित बाधित होंगे.

अत: केंद्र सरकार इस अधिनियम को लागू करने में ईमानदार नहीं है.’’ माकपा के आदिवासी संगठन ‘आदिबासी अधिकार सुरक्षा मंच’ की विचार गोष्ठी में हिस्सा लेने आई बृंदा ने बताया कि हाल के एक आंकड़े के अनुसार वन में जमीन का अधिकार लेने के लिए आदिवासियों की ओर से 32 लाख आवेदन डाले गए. उनमें से तकरीबन आधे (15.8 लाख) आवेदन रद्द कर दिए गए. माकपा नेता ने कहा कि ज्यादातर राज्यों में आदिवासियों को जंगलों में भूमि अधिकार नहीं मिल रहे हैं.

बृंदा ने कहा, ‘‘त्रिपुरा एक अपवाद है और उसने एक लाख 17 हजार परिवारों को पट्टा या भूमि अधिकार दस्तावेज दे कर देश में एक मिसाल कायम की है.’’ उन्होंने गैर आदिवासियों को भी भूमि अधिकार देने के लिए एफआरए में संशोधन की मांग की क्योंकि उनमें से ढेर सारे ब्रिटिश राज से ही जंगल के इलाके में रह रहे हैं.

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