।। प्रभात कुमार रॉय ।।
(सुरक्षा मामलों के जानकार)
जम्मू कश्मीर के पुंछ इलाके में पाकिस्तानी फौज द्वारा शुक्रवार, 9 अगस्त के रात्रिकाल में भारत की आठ सैन्य चौकियों पर जम कर गोलाबारी की गयी. पुंछ इलाके के सरला सेक्टर में पाक सैन्य आक्रमण में पांच भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद पाक सेना का यह एक और दुस्साहसी आक्रमण है.
नवाज शरीफ की ताजपोशी के बाद भारत–पाकिस्तान रिश्ते में सुधार की उम्मीद बलवती हुई थी, लेकिन पाक राजसत्ता में खुदमुख्तार हैसियत रखनेवाली सेना लोकतांत्रिक हुकूमत के इरादों पर पानी फेरने पर आमादा दिख रही है. दुर्भाग्यवश नवाज शरीफ के पीएम बनने के बाद नियंत्रण रेखा के उल्लंघन की करीब 37 वारदातों को पाक फौज ने अंजाम दिया है. इनका मकसद द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने के प्रयासों को ध्वस्त करना है.
वास्तव में भारत–पाकिस्तान के बीच वास्तविक सीमा अभी तक नहीं कायम हुई है. संसद द्वारा पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव के माध्यम से भारत ने संपूर्ण कश्मीर को अपनी सार्वभौमिक राजसत्ता का अभिन्न अंग करार दिया है. सर्वविदित है कि कश्मीर का एक विशाल भू–भाग पाकिस्तान के आधिपत्य में है और पाकिस्तान की फौज संपूर्ण कश्मीर को बलपूर्वक हथियाने की गरज से विगत 66 वर्षो से प्रत्यक्ष आक्रमण सहित प्रॉक्सी वार के तमाम तौर–तरीके आजमाती आयी है.
ऐसी स्थिति में पाकिस्तान और भारत के बीच नियंत्रण रेखा ही विद्यमान रही है. इस नियंत्रण रेखा पर ऊंचे कटीलें तार लगाने का काम पाकिस्तान के पंजाब से सटे भारतीय पंजाब और जम्मू–कश्मीर के जम्मू इलाके में किया जा सका है, किंतु विकट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कश्मीर घाटी के अधिकतर क्षेत्रों में नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा बाड़ लगाने का कार्य संभव नहीं हो सका है.
नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ करनेवाले आतंकवादियों की मदद करने के लिए पाकिस्तानी फौज कवर फायरिंग किया करती है. भारतीय फौजी इस फायरिंग का जवाब देने में व्यस्त हो जाते हैं. इस परिस्थिति का फायदा उठाकर जेहादी आतंकवादी भारतीय नियंत्रण वाले कश्मीर इलाके में प्रवेश करते रहे हैं.
भारत से तीन युद्धों में शर्मनाक शिकस्त खाने के पश्चात पाकिस्तान ने प्रॉक्सी वार की कुटिल रणनीति अपनायी. इसके तहत पाक फौज आतंकवादियों को पाक–अधिकृत कश्मीर के सैन्य शिविरों में गुरिल्ला युद्ध की ट्रेंनिंग मुहैया कराती है और फिर उन्हें सीमापार घुसपैठ कराने के तमाम इंतजाम करती है.
जून से लेकर सितंबर तक जब कश्मीर के गगनचुंबी पहाडों पर बर्फ पिघली रहती है, आतंकवादी घुसपैठ की कोशिशें सबसे ज्यादा होती हैं. कश्मीर में नियंत्रण रेखा इतनी दुरूह और दीर्घ है कि उसके प्रत्येक स्थान पर सैन्य तैनाती संभव नहीं है. फिर भी भारतीय सैनिकों की सतर्कता और बलिदानों के कारण आतंकवादी घुसपैठ में कमी आयी है और कश्मीर में किसी हद तक आतंकवाद पर काबू पाया जा सका है.
अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का रवैया हमेशा पाखंड भरा रहा है. वह एक तरफ अमेरिका के साथ अफगानिस्तान में तालिबान को पराजित करने में जुटा हुआ है, दूसरी तरफ कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. 2001 से वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की मदद करने के एवज में पाकिस्तान को 26 अरब डॉलर की धनराशि प्राप्त हुई है. इस विशाल धनराशि का एक बड़ा हिस्सा कश्मीर में प्रॉक्सी वार पर खर्च हो रहा है.
अंदरूनी तौर पर पाक–तालिबान के साथ हुए गुप्त समझौते की मदद से नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की सत्ता हासिल की है. अब आखिर किस तरह नवाज हुकूमत जेहादियों के विरुद्ध निर्णायक कदम उठाये! नवाज शरीफ यकीनन भारत से रिश्ते सुधारना चाहते हैं, किंतु जब तक पाक समर्थित आतंकवाद पूर्णत: खत्म नहीं हो जाता, भारत–पाक संबंध बिगड़े ही रहेंगे.
आपसी रिश्ते को बेहतर करने के लिए जरूरी है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर अपने पाखंडी रवैये का त्याग करे और कश्मीर को हथियाने की मनोग्रंथि से बाहर निकले. जेहादी आतंकवाद को पनाह और मदद देकर पाकिस्तान ने भारत से कहीं अधिक अपना ही नुकसान किया है. पाकिस्तान में तहरीक–ए–तालिबान रोज–ब–रोज बम धमाके करके अनेक नागरिकों हलाक कर रहे हैं.
भारत द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से आपसी संबंध सुधारना चाहता है, किंतु आइएसआई और पाक सेना का नजरिया और रवैया भारत विरोधी बना हुआ है. इन परिस्थितियों में कूटनीतिक वार्ताएं सार्थक अंजाम तक नहीं पंहुच सकतीं.