कोलकाता: राइटर्स बिल्डिंग को नये रूप में सजाने की तैयारी शुरू हो गयी है. इसके लिए सभी विभागों को कुछ महीने के लिए राइटर्स से हटा दिया जायेगा. पर राइटर्स की रूप सज्जा के बावजूद कुछ विभागों को दोबारा यहां आना नसीब नहीं होगा. उन्हीं में से एक परिवहन विभाग है.
मुख्यमंत्री के निर्देश से जहां सभी दफ्तरों को हावड़ा के मंदिरतला स्थित एचआरबीसी भवन में जाना है. पर परिवहन विभाग ने वहां जाने से पहले ही 12, आरएन मुखर्जी रोड स्थित कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी (सीटीसी) के दफ्तर पर कब्जा जमा लिया है. परिवहन विभाग की इस हरकत से सीटीसी में काफी नाराजगी है. हालांकि सीटीसी स्वयं परिवहन विभाग का ही एक हिस्सा है, इसलिए सीटीसी का कोई भी अधिकारी व कर्मी खुल कर कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं है.
आरएन मुखर्जी रोड स्थित सीटीसी दफ्तर के ग्राउंड फ्लोर व फस्र्ट फ्लोर को कुछ दिन पहले ही खाली कराया गया था. मकसद दो फ्लोर को किराये पर देना था. सीटीसी के एक आला अधिकारी ने बताया कि आरएन मुखर्जी जैसे कोलकाता के प्रमुख कमर्शियल एरिया में दो पूरे फ्लोर को किराये पर देने से सीटीसी को कम से कम वार्षिक पांच से छह करोड़ रुपये की आमदनी होती. पहले से ही 200 करोड़ रुपये का वार्षिक घाटा ङोल रहे सीटीसी के लिए यह रकम काफी कारगर साबित होती. इसके लिए परिवहन सचिव को पत्र भी लिखा गया था, पर वहीं से मामला पलट गया.
परिवहन विभाग ने इस योजना पर पानी फेर दिया. जब अन्य दफ्तर हावड़ा के मंदिरतला जा रहे हैं, तो परिवहन विभाग को क्या परेशानी थी. इन दो फ्लोर की फर्निशिंग पर करोड़ों का खर्च आयेगा. जबकि मंदिरतला में एक पाई भी खर्च करने की नौबत नहीं आती. स्थिति यह है कि हम लोग किसी से शिकवा भी नहीं कर सकते हैं. ऐसा लगता है कि स्वयं परिवहन विभाग में भी ट्रामवेज कंपनी की हालत सुधारने के प्रति कोई रुचि व उत्साह नहीं है. विभाग के इस रवैये के कारण सीटीसी की स्थिति और भी खराब होती जा रही है.