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गांव-गांव से प्रतिभाओं को तलाशें

।।बिगन सोय की सफलता।।चाईबासा जिले के बंदगांव की हॉकी खिलाड़ी बिगन सोय ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बिगन सोय के शानदार खेल से भारत ने जूनियर वर्ल्ड कप हॉकी में कांस्य पदक जीता है. बिगन उस क्षेत्र से आती है जिसने देश को कई हॉकी खिलाड़ी […]

।।बिगन सोय की सफलता।।
चाईबासा जिले के बंदगांव की हॉकी खिलाड़ी बिगन सोय ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. बिगन सोय के शानदार खेल से भारत ने जूनियर वर्ल्ड कप हॉकी में कांस्य पदक जीता है. बिगन उस क्षेत्र से आती है जिसने देश को कई हॉकी खिलाड़ी दिये हैं. गांव-गांव में हॉकी लोकप्रिय है. खूंटी, मुरहू,बंदगांव, सिमडेगा में बच्चे जब होश संभालते हैं, तो क्रिकेट की जगह हॉकी या फुटबॉल खेलना पसंद करते हैं.

बिगन अच्छी फुटबॉल खिलाड़ी भी है. इस क्षेत्र में खेल की सुविधा नहीं है. पर यहां के लोग हार नहीं मानते. बिगन भी उन्हीं लड़कियों में शामिल है, जिसके अंदर प्रतिभा है, जज्बा है. पेनाल्टी शूटआउट में हर खिलाड़ी पर भारी दबाव होता है. किसी पर गोल करने का और किसी पर गोल बचाने का. गोल बचाने का जिम्मा उस बिगन सोय पर था, जो उस मैच में मैदान पर पहले उतरी भी नहीं थी. अंतिम क्षणों में उससे कहा गया कि पेनाल्टी शूटआउट बचाने के लिए मैदान में उतरो. बिगन हिचकिचायी नहीं, उतरी और अपना काम कर दिया.

यह साबित करता है कि वह मानसिक तौर पर काफी मजबूत है. बिगन उस परिवार से आती है जो गरीब है, जिसके पास इतने साधन नहीं हैं कि उसे खेलने के लिए बेहतरीन किट दे. अब स्थिति बदलेगी. केंद्र और राज्य सरकार उसे सम्मानित करेंगी. यहां बिगन को सतर्क रहना होगा. अभी तो उसका खेल जीवन शुरू हुआ है. उसे और मेहनत करनी होगी, ताकि सीनियर टीम में उसका चयन हो सके.बिगन उन खिलाड़ियों के लिए आदर्श हो सकती है, जो गांवों में छिपी हैं और जिन्हें मौका नहीं मिल पा रहा है.

हाल ही में, ओरमांझी के पास के गांवों की आदिवासी बच्चियों ने स्पेन को हरा कर विश्व स्तर की फुटबाल प्रतियोगिता जीती थी. दीपिका तो तीरंदाजी में कमाल दिखाती रहती है. पदक जीतती रहती है. इसलिए अब देश-दुनिया को बताने की जरूरत नहीं है कि झारखंड की बेटियों में कितनी प्रतिभा है. न सिर्फ खेल के मामले में, बल्कि शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में भी यहां की लड़कियां बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. सरकार अगर सहयोग करे, मौका दे, साधन उपलब्ध कराये, तो यही लड़कियां देश के लिए कई पदक जीतने की क्षमता रखती हैं. बिगन ने झारखंड का मान बढ़ाया है और यही सही समय है जब सरकार राज्य के गांव-गांव की गुमनाम बिगनों को खोज निकाले, उन्हें प्रशिक्षण दे या फिर प्रशिक्षण के लिए बाहर भेजे, ताकि देश-दुनिया में झारखंड का नाम हो. झारखंड को गर्व है अपनी इस बेटी पर.

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