भागलपुर: यहां के परंरापगत सिल्क उद्योग को उसकी चमक दुबारा लौटाने के लिए शुरू की गयी कलस्टर योजना चंद लोगों तक ही सिमट कर रह गयी है. आम हथकरघा बुनकरों को उसका उतना लाभ नहीं मिला जितना अपेक्षित था. आपसी खींचतान व अंदरुनी राजनीति की वजह से कलस्टर योजना रफ्तार नहीं पकड़ पायी. कहने को तो जिले में आधा दर्जन कलस्टर योजना चल रही है.
लेकिन मजे की बात तो यह है कि उन लोगों को भी पता नहीं है जिसके विकास के लिए कलस्टर बनाया गया. जिले के सबसे बड़े कलस्टर पुरैनी क लस्टर को देखने गुरुवार को केंद्रीय कपड़ा मंत्री केएस राव आयेंगे. उनके साथ गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे भी रहेंगे. मंत्री पहले गोड्डा में मेगा क लस्टर को देखेंगे उसके बाद दोपहर बाद 1 बजे पुरैनी पहुंचेंगे. यहां बुनकरों के साथ बैठक भी होगी. उनसे यहां के सिल्क उद्योग को ढेर सारी उम्मीदें है. सिल्क उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि शायद उनका दौरा सिल्क उद्योग में नयी जान फूंक जायें. सिल्क को लेकर भागलपुर की विश्वव्यापी पहचान है. कई कारणों से पिछले दो दशक से अधिक समय से यहां का सिल्क उद्योग लगातार छीजता जा रहा है. अब तो यहां के तसर सिल्क का जीआइ भी हो चुका है. इसके बाद भी सिल्क उद्योग पटरी पर सरपट नहीं दौड़ रही है.
यहां का पूरा सिल्क उद्योग गिनती भर लोगों के हाथों में कैद है. सिल्क उद्योग के रीढ़ आम बुनकर वहीं के वहीं है. कभी सालाना 300 करोड़ से अधिक का कारोबार वाला सिल्क उद्योग सौ करोड़ के नीचे आ गया है. सबसे खराब स्थिति हथकरघा बुनकरों की है. हथकरथा बुनकरों के लिए एक मेगा कलस्टर सहित आधा दर्जन कलस्टर बनाया गया. इस पर करोड़ों खर्च हुए लेकिन स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है. सिल्क उद्योग से जुड़े अधिकारी भी दबे स्वर में इस बात को स्वीकार करते हैं कि कलस्टर से जितना लाभ बुनकरों को मिलना चाहिए उतना लाभ नहीं मिला.