* पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती, तो अफवाह में मारी जाती बूढ़ी औरत
* कई विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन बंद
अरवल (सदर) : मशरक में विषाक्त भोजन से 23 स्कूल बच्चों की मौत की घटना के बाद अरवल जिला के सरकारी विद्यालयों में भी मध्याह्न् भोजन खाने और चापाकल के पानी पीने से बच्चों के बीमार पड़ने की सिलसिला जो शुरू हुआ है, वह रुकने का नाम नहीं ले रहा है. कहीं भोजन में जहर मिलाने तो कहीं चापाकल में जहर डालने की घटना सुनने में आ रही है.
शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब घटनाएं क्षेत्र में न घट रही हो. अरवल में यह घटना चमंडी प्राथमिक वि से शुरू हुई थी. वहां भोजन खाने से कुल 123 बच्चे बीमार पड़ गये थे. उसके दो दिन बाद दाउतपुर नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में चापाकल के पानी पीने से विद्यालय के प्राचार्य एवं तीन छात्रएं बीमार हो गये थे.
प्राइमरी विद्यालय बनिया विगहा के चापाकल के पानी पीने से स्थानीय ग्रामीण अवध बिहारी सिंह बीमार पड़े थे, उसी तरह परासी, शाही मुहल्ला, फतेहपुर संडा, अरवल ब्लॉक परिसर सहित दर्जनों जगहों पर भोजन और चापाकल में जहर डालने की खबरे मिल रही है. लगातार घट रही इस तरह की घटना से जिले के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों में दहशत का महौल कायम हो गया है.
कुछ अभिभावकों अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने से तत्काल परहेज कर रहे हैं. कई विद्यालयों में मध्याह्न् भोजन खाने से बच्चे साफ इनकार कर रहे हैं. इस तरह की घटनाओं से शिक्षा विभाग के पदाधिकारी से लेकर जिला प्रशासन भी काफी परेशान हैं. समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों में यह चर्चा है कि इस तरह की खबरें हकीकत है या सिर्फ अफवाह समझ में नहीं आ रहा है.
बुधवार को भी अरवल जिला मुख्यालय के सटे कर्बला के मैदान पर एक महिला द्वारा चापाकल में जहर डालने की अफवाह जंगल की आग की तरह फैल गयी. ग्रामीणों ने एक महिला को शक के आधार पर पकड़ लिया और पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने जब जांच पड़ताल की तो पता चला कि महिला अरवल वासीलपुर की थी. वह विक्षिप्त थी.
अगर मौके पर पुलिस नहीं पहुंचती तो महिला को शक के आधार पर पीट–पीट कर मौत के घाट उतार दिया जाता. पुलिस इंसपेक्टर ने बताया कि चापाकल की निगरानी के लिए जगह–जगह चौकीदार, एसओ को तैनात किया गया है.