अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने साल 2007 के चांदनी बलात्कार और हत्याकांड के दो दोषियों को दी गयी मौत की सजा मंगलवार को कम कर उम्रकैद में तब्दील कर दी.
न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति आर पी ढलोरिया की खंडपीठ ने आज कहा कि यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं आता.उच्च न्यायालय ने मोहन हमीर और महेश चौहान उर्फ भादो को दिसंबर 2011 में जूनागढ़ की सत्र अदालत द्वारा सुनायी गयी मौत की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी. मोहन को 30 साल जबकि महेश को 20 साल की उम्रकैद की सजा दी गयी है.
चांदनी की हत्या और उसकी सहेली से बलात्कार के मामले में मोहन और महेश को मौत की सजा सुनाने के अलावा सत्र अदालत ने दोनों आरोपियों पर 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया था. अपने 132 पन्ने के आदेश में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश जी एम पटेल ने कहा था कि यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है और यदि इसमें दोषियों को यूं ही छोड़ दिया गया तो वे समाज के लिए खतरा बन जाएंगे.
यह घटना 13 मई 2007 को हुई जब राजकोट में रहने वाले रामजीभाई विंजवादिया का परिवार अपनी बेटी चांदनी (15) और उसकी 18 साल की एक सहेली के साथ तीर्थयात्रा के लिए जूनागढ़ में दातार पर्वत पर गया था.दत्तात्रेय मंदिर से लौटते वक्त दोनों लड़कियां पीछे रह गयीं और नशे में धुत मोहन और महेश ने उन्हें अगवा कर लिया. चांदनी ने जब विरोध किया तो मोहन ने एक चालू से उसका गला काट कर उसे मार डाला. बाद में उन्होंने चांदनी की सहेली से बलात्कार किया.