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क्या 1962 दोहराने की तैयारी हो रही है? : खंडूरी

देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगी अपनी दो चौकियों के लिए जा रहे भारतीय सेना के गश्ती दल को चीनी सेना द्वारा रोके जाने और उसे चीनी क्षेत्र बताने पर आज गहरी चिंता प्रकट करते हुए केंद्र से पूछा कि इस […]

देहरादून : उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी ने लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगी अपनी दो चौकियों के लिए जा रहे भारतीय सेना के गश्ती दल को चीनी सेना द्वारा रोके जाने और उसे चीनी क्षेत्र बताने पर आज गहरी चिंता प्रकट करते हुए केंद्र से पूछा कि इस दिशा में कोई गंभीर पहल न करके क्या वह 1962 का इतिहास दोहराने की तैयारी कर रही है.

खंडूरी ने यहां जारी एक बयान में कहा कि मीडिया में आ रही रिपोटोंर् के अनुसार लद्दाख के उत्तरी क्षेत्र में टे्रडजंक्शन एरिया के 14 किलोमीटर ऊपर वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगी अपनी दो चौकियों के लिए जा रहे भारतीय गश्ती दल को चीन की सेना ने रोका और यह चीनी क्षेत्र है लिखा हुआ बैनर दिखाया.उन्होंने कहा कि इससे पहले भी अप्रैल 2013 में चीन के सैनिक लद्दाख की दीपसांग घाटी में नियंत्रण रेखा से 19 किलोमीटर अंदर तक आकर अपने टैंट लगा चुके हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी सेना वर्ष 2008 से 270 बार देश में घुसपैठ कर चुकी है और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर 15 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.उन्होंने कहा कि भारत के पश्चिम हिमालय में 38000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले अक्साई चिन पठार को चीन ने दबा रखा है.

खंडूरी ने आरोप लगाया कि इन सब बातों के बावजूद केंद्र सरकार कोई गंभीर पहल करती दिखायी नहीं दे रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि क्या संप्रग की केंद्र सरकार 1962 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु का इतिहास दोहराने की तैयारी कर रही है, जिसके कारण भारत को 32 दिन युद्ध लड़ना पड़ा और बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बावजूद देश को मुंह की खानी पड़ी और विश्व के सामने शर्मिंदा होना पड़ा.

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