मुजफ्फरपुर: करीब एक लाख हेक्टेयर में लगे धान की फसल को बचाना किसानों के लिए मुश्कि ल कार्य दिख रहा है. अब सरकार ने भी मान लिया है कि सूबे की फसल अल्पवृष्टि की चपेट में है. कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक कुमार चौहान ने फसल बचाने की चुनौतियों के बीच सभी प्रमंडलीय आयुक्त व जिला पदाधिकारी को पत्र भेज कर कारगर कदम उठाने का सख्त निर्देश दिया है. विभागीय आदेश के बाद जिला कृषि विभाग सर्वेक्षण कार्य में कार्य में जुट गया है.
जिले के अधिकारियों से 10 बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है. एपीसी के आदेश के बाद जिला कृषि पदाधिकारी के के शर्मा व संयुक्त कृषि निदेश सुनील कुमार पंकज ने आत्मा के पीडी, डीएचओ, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को भी अपने स्तर पर स्थिति पर नजर रखने को कहा है.
कृषि विभाग ने अल्पवृष्टि की स्थिति में खरीफ फसल को बचाने व वैकल्पिक फसल लगाने के गाइडलाइन जारी कर दिया है. धान के अल्प अवधि के किस्मों में तुरंता, प्रभात, साकेत, पूसा 2-21, पूसा 33, सहभागी, शुष्क सम्राट प्रभेदों को सीधी बोआई विधि से पानी की उपलब्धता के अनुसार लगाना जरूरी है. 50 से 60 दिनों की बिचड़ा की कम दूरी पर बोआई व एक स्थान पर पांच से सात बिचड़ा लगाना जरूरी है. प्रतिकूल परिस्थिति में होने वाले मक्का में देवकी, लक्ष्मी व सुआन किस्मों की बोआई करना जरूरी है.
ऊंची जमीन में धान का बेहतर विकल्प होगा. दलहन में उड़द व कुलथी की बोआई करें. तेलहन में तिल व तोरिया की खेती सितंबर माह में करना जरूरी है. पशुओं की चारा में ज्वार, बाजरा व मक्का को खेतों में लगायें. सब्जी की फसलों में भिंडी, मूली, साग, अगात फूल गोभी, बैंगन, टमाटर, मिर्च, कद्दू व सोयाबीन की खेती की जा सकती है.