हैदराबादः आध्र प्रदेश के बंटवारे से नाराज आंध्र और रायलसीमा क्षेत्र के कांग्रेसी नेताओं अपने इस्तीफे वापस लेने की पार्टी आलाकमान के निर्देश को अस्वीकार करते हुए शनिवार रात अपना आंदोलन और तेज कर दिया. इन नेताओं ने शनिवार यहां तीन प्रस्ताव पारित किए हैं, जिसमें से एक में तेलंगाना गठन के फैसले पर पुनर्विचार और मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी से इस्तीफा देने को कहा गया है.
कांग्रेस के करीब 90 मंत्रियों, विधान पार्षदों और विधायकों ने शनिवार शाम यहां मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख बोत्सा सत्यनारायण के साथ बैठक की, जो साढ़े पांच घंटे से भी अधिक समय तक चली. इस बैठक में पारित दो अन्य प्रस्तावों में केंद्रीय मंत्री ए के एंटनी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति द्वारा इस विभाजन से जुडी रुप रेखा पर अपनी रिपोर्ट पेश किए जाने तक राज्य के बंटवारे की प्रक्रिया को लंबित रखने की मांग की गई है.
वहीं तीसरे प्रस्ताव में कांग्रेस नेताओं ने केंद्रीय कार्य समिति द्वारा किसी रुप रेखा के बिना राज्य के विभाजन का फैसले लिए जाने के पार्टी के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई है. बैठक खत्म होने के बाद वरिष्ठ विधायक अनम विवेकानंद रेड्डी ने संवाददाताओं से बताया कि मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सहित सभी विधायकों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. इस बैठक की शुरआत में एकसूत्री एकसूत्री प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें राज्य को एकजुट रखने की मांग की गई थी.
कुछ विधायकों द्वारा बैठक के बीच से उठकर चले जाने के बाद जे सी दिवाकर रेड्डी, गेडे वेंकट रेड्डी सहित कई दूसरे वरिष्ठ विधायकों और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के साथ विचार विमर्श जारी रखा. इस बैठक में माहौल काफी गर्माया रहा, जहां गेडे वेंकट रेड्डी जैसे वरिष्ठ विधायकों ने मांग की कि रेड्डी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को भी अपने पदों से इस्तीफा दे देना चाहिए.
विधायक दरअसल चाहते थे कि बोत्सा आंध्र-रायलसीमा क्षेत्रों के लोगों द्वारा अखंड राज्य के पक्ष में चलाए गए अभियान में शामिल हों.मुख्यमंत्री तथा पीसीसी प्रमुख ने पांच मंत्रियों तथा दोनों क्षेत्रों के लगभग सभी 75 विधायकों द्वारा इस्तीफा दिए जाने की पृष्ठभूमि में यह बैठक बुलायी थी.
बताया जाता है कि कांग्रेस समिति नेताओं ने किरण और बोत्सा को बताया कि पार्टी आलाकमान चाहता है कि वे मंत्रियों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के इस्तीफों को वापस कराएं क्योंकि पार्टी गंभीरता से बंटवारे के मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रही है.