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व्यवसाय में हो रहा है घाटा

देवघर: 24 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू हुआ है. शुरू के दिनों से ही कांवरियों की भीड़ बढ़ने लगी. लेकिन पहली सोमवारी के बाद से ही अचानक कांवरियों की भीड़ में कमी आयी है. लेकिन भीड़ को लेकर प्रशासन का दावा अलग है, प्रशासनिक आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दस दिनों में 8 लाख […]

देवघर: 24 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू हुआ है. शुरू के दिनों से ही कांवरियों की भीड़ बढ़ने लगी. लेकिन पहली सोमवारी के बाद से ही अचानक कांवरियों की भीड़ में कमी आयी है. लेकिन भीड़ को लेकर प्रशासन का दावा अलग है, प्रशासनिक आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दस दिनों में 8 लाख 82 हजार 515 कांवरिये जलार्पण कर चुके हैं. बाबा मंदिर में सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 28 व 29 जुलाई को कांवरियों की संख्या एक लाख पार हो गया था.

पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कांवरियों की संख्या में दोगुना वृद्धि का दावा प्रशासन ने किया है. वहीं तीर्थपुरोहित और दुकानदार असमंजस में हैं कि आखिर कांवरियों की संख्या क्यों घट गयी है. भीड़ कम आने के कारण उनके व्यवसाय पर असर पड़ा है. बहरहाल, यह बहस का मुद्दा बनता जा रहा है कि जिस तरह भीड़ कम हुई है, इससे जिला प्रशासन के आंकड़ों पर सवाल खड़ा हो गया है.

सांख्यिकी विभाग की गणना का क्या है पैमाना
बाबा मंदिर में गणना के लिए तैनात सांख्यिकी विभाग के कर्मी दिनेश प्रसाद के अनुसार निकास द्वार के पास पांच मिनट कर्मी खड़े होकर कांवरियों की गिनती करते हैं. पांच मिनट में जितने कांवरिये निकास द्वार से निकले, उस संख्या को एक घंटे में केलकुलेट करके पूरे दिन जब तक जलार्पण होता रहता है, संख्या को जोड़ा जाता है. पट बंद होने के समय के अनुसार इस आंकड़े में अंतर आता है. वहीं निकास द्वार के पास एक इमेज काउंटींग मशीन भी लगा है लेकिन उसके आंकड़ों का कोई लेखा-जोखा नहीं है. दुकानदार और तीर्थ पुरोहित की नजर में कांवरियों की भीड़ कैसी है. उनका व्यवसाय कैसा चल रहा है.

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