वाराणसी:लोक लेखा समिति के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने गरीबी का गलत आंकड़ा प्रस्तुत करने पर केंद्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा है कि गरीबी की परिभाषा नहीं कर पा रही है और न ही सही आंकड़ा देश के सामने प्रस्तुत कर रही है.जोशी ने आज यहां में संवाददाताओं से कहा कि 27 और 30 रुपये प्रतिदिन खर्च करने वाला व्यक्ति यदि अमीर है तो गरीब किसे कहा जाएगा?उन्होंने सवाल किया कि देश में यदि सिर्फ 21 प्रतिशत गरीब हैं तो फिर 75 फीसदी जनता को सस्ता अनाज देने की क्या जरुरत है. सरकार यदि खाद्य सुरक्षा देना ही चाहती है तो वह देश के प्रत्येक नागरिक को मिलना चाहिए.
भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसी कौन से विपत्ति या आपात स्थिति आ गयी थी कि अचानक खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लाने की जरुरत आन पड़ी. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने यह कदम सिर्फ आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया. उन्होंने मांग की कि इस कानून में जो खामियां और त्रुटियां हैं, उन पर निष्पक्ष रुप से विचार होना चाहिए. खाद्य सुरक्षा प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, लिहाजा भाजपा चाहती है कि इसे खाद्य सुरक्षा कानून में स्पष्ट रुप से समाहित किया जाये. डॉ. जोशी ने संप्रग सरकार को घेरते हुए यह भी कहा कि वह न तो सीमा की सुरक्षा कर पा रही है, न बाजार को सुरक्षित रख पा रही है और न ही राष्ट्रीय मुद्रा की रक्षा कर पा रही है. भारतीय जनता पार्टी संसद के आगामी सत्र में मांग करेगी कि सरकार इन तीनों प्रश्नों पर श्वेत पत्र जारी करे. वह स्पष्ट रुप से बताये कि चीनी और पाकिस्तानी घुसपैठ पर उसने अब तक क्या किया है और क्या करने जा रही है. जोशी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार अपराधी व माफिया तत्वों से ही प्रभावित हो रही है और उनके हितों की रक्षा में ही लिप्त है.
उन्होंने एक महिला आईएएस अधिकारी के निलम्बन का जिक्र करते हुए कहा कि यदि इसी तरह सरकारी अधिकारियों को बिना कारण दण्डित किया जाता रहा तो शायद ही कोई ईमानदार अधिकारी प्रदेश में रहना पसंद करेगा. अब भी समय है कि प्रदेश सरकार को हठवादिता त्यागकर हर अधिकारी को अपना काम करने देना चाहिए. तेलंगाना के बाद अन्य राज्यों के बंटवारे की तेजी से उठ रही मांग के सवाल पर भाजपा नेता ने कहा कि राज्य पुनर्गठन आयोग बनाकर निश्चित रुप से इस पर विचार किया जाना चाहिए. लेकिन सिर्फ राज्यों का आकार ही बंटवारे का आधार नहीं होना चाहिए बल्कि प्रशासनिक, आर्थिक व सुरक्षात्मक पहलुओं पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.