रांची: रांची विवि में शिक्षकों की प्रोन्नति में गड़बड़ी की शिकायत राजभवन से की गयी है. रांची विवि अंतर्गत स्नातकोत्तर भौतिकी विभाग के शिक्षक डॉ एके अखौरी ने नियम विरुद्ध प्रोन्नति की जानकारी से संबंधित एक ज्ञापन दिया है. इसमें कहा गया है कि डॉ एके अखौरी को झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में 1994 से प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन को सही माना है. साथ ही स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से डॉ अखौरी को प्रोन्नति देने का आदेश भी पारित किया है.
विवि द्वारा गठित स्क्रीनिंग कमेटी पर भी सवाल उठाये गये हैं. डॉ अखौरी का रिसर्च वर्क व इनके रिसर्च पेपर में मेरिट नहीं मानते हुए प्रोन्नति को जायज नहीं माना. जबकि डॉ अखौरी के पेपर इंटरनेशनल जर्नल में छपे हुए हैं. नासा में इनके रिसर्च पेपर को रिफ्ररेंस के तहत रखा गया है. दूसरी ओर प्रोन्नति तिथि तक पीएचडी नहीं करनेवाले शिक्षक को प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति का लाभ दे दिया गया है. इसमें अंगरेजी विभाग की एक शिक्षिका की पीएचडी की डिग्री सितंबर 1993 में मिली, जबकि इसके आधार पर शिक्षिका को अगस्त 1993 में प्रोन्नति दे दी गयी है. इसी प्रकार जंतुविज्ञान में एक शिक्षक ने नवंबर 1989 में पीएचडी किया, जबकि प्रोन्नति नवंबर 1988 में ही दे दी गयी है. पीएचडी रजिस्ट्रेशन के आधार पर प्रोन्नति देने के मामले में भी गड़बड़ी की गयी है.
भौतिकी में एक शिक्षक ने रिसर्च वर्क अर्थ साइंस में किया, लेकिन उन्हें भी प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति दे दी गयी. सूचनाधिकार से मिली जानकारी के अनुसार उक्त प्रोफेसर के बारे में स्क्रीनिंग कमेटी में 11 पेपर प्रकाशन की बात कही गयी है, जबकि प्रोन्नति तिथि तक मात्र तीन पेपर प्रकाशित हुए थे. डॉ अखौरी ने राज्यपाल सह कुलाधिपति से कहा है कि वे प्रोन्नति की सारी अर्हताएं पूरी करते हैं, लेकिन उन्हें किसी न किसी बहाने प्रोन्नति से रोक दिया जा रहा है.