रांची: झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को कांके के नगड़ी में निर्माणाधीन नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस प्रकाश टाटिया व जस्टिस जया राय की खंडपीठ ने राज्य सरकार के जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए मौखिक टिप्पणी की. कहा: यूनिवर्सिटी का निर्माण राज्य के लिए गौरव की बात है.
पूर्व में राज्य सरकार ने यूनिवर्सिटी को हर संभव सहयोग व सहायता देने की बात कही थी. अब उससे पीछे हट रही है. सरकार का जवाब गुमराह करने जैसा है. अवमानना का मामला बन सकता है. खंडपीठ ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा : यह बताया जाये कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को वित्तीय सहायता देंगे या नहीं. साथ ही सरकार को यूनिवर्सिटी से संबंधित सभी वित्तीय रिकार्ड अगली सुनवाई के दौरान अदालत में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया गया कि पूर्व में 50 करोड़ रुपये की सहायता दी गयी थी.
सरकार अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए अब यूनिवर्सिटी को और आर्थिक सहायता देने में असमर्थ है. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता डा एसएन पाठक ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि बार एसोसिएशन, झारखंड हाइकोर्ट की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तेजी से निर्माण के लिए सरकार को उचित निर्देश देने का आग्रह किया गया है. वहीं यूनिवर्सिटी की ओर से हस्तक्षेप याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपये दिया था. राशि का उपयोग कर लिया गया है. सरकार को 150 करोड़ रुपये निर्गत करने के लिए प्रस्ताव दिया गया है. प्रस्ताव पर शीघ्र निर्णय लेने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया गया है.