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दार्जिलिंग से पर्यटकों का पलायन

सिलीगुड़ी : आंध्र प्रदेश को विभाजित कर अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर चल रहे मंथन के बीच पश्चिम बंगाल में पहाड़ की राजनीति गरमा गयी है. तेलंगाना के गठन की संभावना देख अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) के नेताओं ने भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है. […]

सिलीगुड़ी : आंध्र प्रदेश को विभाजित कर अलग तेलंगाना राज्य के गठन को लेकर चल रहे मंथन के बीच पश्चिम बंगाल में पहाड़ की राजनीति गरमा गयी है. तेलंगाना के गठन की संभावना देख अलग गोरखालैंड की मांग कर रहे गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) के नेताओं ने भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार कर लिया है. मोरचा ने सोमवार से 72 घंटे के पहाड़ बंद का एलान किया है. खास बात यह है कि बंद से आवश्यक सेवाओं मसलन दूध की सप्लाई आदि को भी छूट नहीं दी गयी है. उधर, दार्जिलिंग से पर्यटकों का पलायन शुरू हो गया है.

गोरखा जनमुक्ति मोरचा प्रमुख विमल गुरुंग ने साफ कर दिया है कि सोमवार से तीन दिवसीय पहाड़ बंद के दौरान आवश्यक सेवाओं को भी छूट नहीं दी जायेगी. दूध के वाहनों को भी जीटीए क्षेत्र में नहीं घुसने दिया जायेगा. साथ ही नयी दिल्ली में धरना-प्रदर्शन भी होगा.

उनका कहना था कि यदि जरूरत पड़ी तो मोरचा गोरखा टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) को छोड़ देगा. गोरखालैंड ही उनका सपना है. उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को पाने के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं. इस बार पहाड़ पर अलग तरह का बंद देखने को मिलेगा. गुरुंग ने साफ कर दिया है कि जो पहाड़ छोड़ कर जाना चाहते हैं, वे चले जायें. क्योंकि यह निर्णायक आंदोलन होगा. उनका कहना है कि यदि मरना ही है तो गोरखालैंड के लिए मरेंगे. सरकार यदि आंदोलन को दबाने का प्रयास करेगी तो बर्दाश्त नहीं होगा. हम गणतांत्रिक रूप से ही आंदोलन करेंगे. विमल गुरुंग की घोषणा के बाद से ही पहाड़ से पर्यटकों का पलायन शुरू हो गया है. बहुत से पर्यटक रविवार को पहाड़ छोड़ कर सिलीगुड़ी चले आये.

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