बोकारो: मिथिलांचल की परपराएं आज भी अक्षुण्ण हैं और अपनी विरासत की धरोहर को बयां करती हैं. जाइत देखल पथ नागरि सजनी गे-आगरि सुबुधि से आनि सजनी गे.. के साथ मिथिलांचल वासियों की अगाध श्रद्धा व विश्वास का पर्व मधु श्रावणी 27 जुलाई से शुरू होगा.
समय की धारा में बह चले प्रवासी मिथिला वासियों ने भी इसे अभी तक नकारा नहीं है. अपनी जन्म भूमि से दूर रह कर भी पवित्र पर्व मधु श्रावणी को बोकारो की मिथिलांचल की नव विवाहिता और महिलाएं काफी अहमियत देती हैं. पति के दीर्घायु होने की कामना से किया जाने वाला मधु श्रावणी पर्व मुख्यत: मिथिलांचल की नव विवाहिता उत्साह पूर्वक मनाती है. श्रवण कृष्ण पंचमी से प्रारंभ होकर श्रवण शुक्ल तृतीय तक मनाया जाने वाला मधु श्रावणी कई मायने में भिन्न होता है.
इसमें नव विवाहिता नाग देवता की पूजा की मूल अवधारणा के साथ अन्य दैहिक दु:खों से पति को मुक्त रखने के लिये 13 दिनों तक विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा करती है. पर्व के दौरान गौरी, कुल देवता, विषहारा आदि के गीतों गुंजायमान घर-आंगन आध्यात्मिक बन जाता है. मधु श्रावणी 09 अगस्त को है. उसी दिन श्रद्धा का यह पर्व समाप्त होगा.