झारखंड गठन के बाद यहां के लोगों ने क्या-क्या सपने नहीं संजोये थे? लेकिन जैसे-जैसे दिन-महीने-साल बीतते गये, लोगों के तमाम सपने टूटते गये. बीते 12 सालों में हमारा राज्य झारखंड सिर्फ राजनीतिक प्रयोगशाला के रूप में ही जाना जाता है, जहां एक ही विधानसभा के अंतर्गत चुनी गयीं पार्टियां आधी अवधि में सत्ता पक्ष में होती हैं तो आधी अवधि में विपक्ष में.
यहां एक निर्दलीय विधायक मुख्यमंत्री बन जाता है और घोटालों का नया कीर्तिमान बनाता है. बहरहाल, जो भी हुआ, उसे हम बुरा सपना समझ कर भूल जायें और नये सवेरे का स्वागत करें. अब इस मोड़ से हम झारखंड की छवि सुधारने और इसके नवनिर्माण की दिशा में तत्पर हों.
नयी सरकार का गठन चाहे जैसे भी हुआ हो, लेकिन अभी हमारे राज्य के पास युवा और कर्मठ मुख्यमंत्री है. इनमें चुनौतियों से निबटने की क्षमता है. इन्हें राज्य के भ्रष्ट अफसरों पर नकेल कसनी चाहिए, जिससे जनता को भी यह आभास हो कि इस नये मुख्यमंत्री में वाकई कुछ नया है. हेमंत सोरेन के सामने नायक बनने का मुफीद अवसर है, जिसे उन्हें भुनाना है.
।। हरिश्चंद्र कुमार ।।
(पांकी)
ndhi"’> कुमार ।।
(ई-मेल से)