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ड्रिप सिंचाई पद्धति से बढ़ेगी उपज

शिवहरः जिला मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सूक्ष्म सिंचाई व संरक्षित खेती का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को शुभारंभ हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन जिला समन्वयक आरके मंडल ने किया. प्रशिक्षण मृदा व जल संसाधन विभाग के तत्वावधान में कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय सह राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक इ संजय […]

शिवहरः जिला मुख्यालय स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सूक्ष्म सिंचाई संरक्षित खेती का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को शुभारंभ हुई. कार्यक्रम का उद्घाटन जिला समन्वयक आरके मंडल ने किया. प्रशिक्षण मृदा जल संसाधन विभाग के तत्वावधान में कृषि अभियंत्रण महाविद्यालय सह राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिक संजय कुमार निराला, हिमांशु कुमार राकेश कुमार ने दिया.

प्रशिक्षण में वैज्ञानिकों ने ड्रिप सिंचाई पद्धति से फसलों खासकर सब्जी की उपज गुणवत्ता दोनों बढ़ायी जा सकती है. इस विधि में पौधे में बहुत धीमी गति से अर्थात बूंदबूंद करके पानी दिया जाता है. पौधों की पंक्तियों के बीच पानी वाले पाइप बिछाये जाते हैं और इनमें टोटी लगी रहती है. इन टाटियों द्वारा 2 से 10 लीटर पानी प्रति घंटा की दर से बूंदबूंद पड़ने से पूरा पानी भूमि में सोख लिया जाता है.

मुख्य रूप से इस विधि का उपयोग आलूबैंगन, फूलगोभी, टमाटर, प्याज, भिंडी, मटर, धनिया, लहसून, अदरक मिर्च की खेती में किया जा सकता है.

कृषि वैज्ञानिक राकेश कुमार ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नयी दिल्ली द्वारा किये गये अनुसंधान से पता चला है कि फ्लड सिंचाई की तुलना में ड्रिप सिंचाई से 30 प्रतिशत जल की बचत होती है. प्रशिक्षण में करीब 30 किसानों ने भाग लिया.

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