u;h fnYyh%देश आज कारगिल विजय की 14 वीं वर्षगांठ धूमधाम से मना रहा है आज के ही दिन सन 1999 में भारतीय जवानों ने अपने मजबूत इरादों से पाक के नापाक इरादो को नाकाम कर एक बार फिर से भारतीय तिरंगा को शान से लहराया था.
अनेकता में एकता व सेना के मजबूत मनोबल ने भारत की जीत को सुनिश्चित किया. दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान होने के बावजूद शौर्य और पराक्रम की गरमाहट में देश की सबसे जटिल सीमा पर हमारे जवान देश की रक्षा करते हैं .
कारगिल दिवस 26 जुलाई 1999 को जीत की आधिकारिक घोषणा के साथ ही इसे ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया. इस विजय गाथा में देश के 527 जांबाजों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी
फारइवर इन ऑपरेशन डिवीजन की अहम भूमिका
कारगिल युद्ध के दौरान एक अगस्तए 1963 को रांची में गठित इस डिवीजन ने उत्तर –पूर्व राज्यों ] कश्मीर व सियाचिन में उल्लेखनीय योगदान देते हुए कारगिल युद्ध जीता था. इतना ही नही इस डिवीजन का स्वर्णिम इतिहास रहा है . इससे पहले इस डिवीजन ने बांग्लादेष कि लिए भी युद्ध में हिस्सा लिया था.
क्या था मामला
इस युद्ध के पीछे पाकिस्तानी सेना का मकसद नियंत्रण रेखा पार कर भारत की महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा जमाना था.
ऐसा करने से लेह.लद्दाख को भारत से जोड़ने वाली सड़क पर पाकिस्तान का नियंत्रण कायम हो जाता और इससे सियाचिन ग्लेशियर पर भारत की स्थिति कमजोर हो जाती.
इस युद्ध की खास बात यह थी कि भारत की थल सेना और वायुसेना ने नियंत्रण रेखा को पार किए बिना ही फतह हासिल की थी. यह युद्ध दो माह से भी ज्यादा समय तक चला था.
चार बार मात खा चुका है पाकिस्तान .
भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा लगभग 740 किलोमीटर लंबी हैए जो पहाड़ों और दुर्गम इलाकों के बीच से गुजरती है. भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध सन् 1947 में हुआ था.
1947 के बाद दोनों देशों के बीच 1965 में फिर युद्ध छिड़ाए जिसमें पाकिस्तान की बुरी तरह हार हुई. इसके बाद 1971 में एक बार फिर युद्ध हुआ. इसी युद्ध में पूर्वी पाकिस्तान टूटकर बांग्लादेश बन गया. उस समय भी कश्मीर में कई जगहों पर लड़ाई हुई और नियंत्रण रेखा पर दोनों देशों ने एक.दूसरे की चौकियों पर नियंत्रण किया.
लेकिन बीते दशकों के दौरान नियंत्रण रेखा पर तनाव ज्यादा बढ़ा और सीमा पर घुसपैठ में भी इजाफा हुआ है.
उसके बाद 1999 में हुए कारगिल युद्ध में भारतीय जवानों ने एक बार फिर से अपनी श्रेष्ठता साबित की .