नयीदिल्ली : आरबीआई द्वारा बैंकों के पास नकदी का स्तार कम करने के उपायों पर वाणिज्यिक बैंकों और उद्योग जगत की हाय तौबा के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गर्वनर डी सुब्बाराव ने मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा से पहले आज यहां वित्त मंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात की. मौद्रिक नीति की समीक्षा 30 जुलाई को होनी है.
आरबीआई रुपए की गिरावट रोकने के लिए नकदी प्रवाह और सोने के आयात पर लगाम के लिए कई नए उपाय किए हैं. मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा में आरबीआई को ब्याज दरों में नरमी और नकदी की स्थिति सुधारने की मांग के साथ साथ रूपए में गिरावट तथा मुद्रास्फीति के दबाव को संभालने की चुनौतियों का सामना करना है.
रूपए की विनिमय दर 8 जुलाई को 61.21 रूपए प्रति डालर के अब तक के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गयी थी. रूपए को थामने के लिए केंद्रीय बैंक ने बैंकों द्वारा लिए जाने वाले अल्पकालिक रिण पर ब्याज दर भी बढा दी और उन की फौरी उधार की सीमा भी कम कर दी. इसके अलावा आरबीआई ने सोने के आयात को कम करने और निर्यात आय वापस लाने के लिए निर्यातकों को मिले समय की सीमा कम करने जैसे कदम उठाए हैं.
रूपए की गिरावट को रोकने के लिए आरबीआई की पहल से क्षुब्ध भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष प्रतीप चौधरी ने सुझाव दिया है कि विदेशी विनिमय बाजार में रूपए में उठापटक को रोकने के लिए केंद्रीय बैंक को अल्पकालिक नकदी की आपूर्ति का रास्ता नहीं रोकना चाहिए. बजाय इसके उसे बजाय इसके उसे सीधे ब्याज दर बढ़ानी चाहिए.
भारतीय स्टेट बैंक के प्रमुख चौधरी ने कहा ‘‘जब भी केंद्रीय बैंक को करैंसी को बचाना हो या मुद्रास्फीति को को काबू में रखने के लिए कदम उठाने की जरुरत हो, वह कृपा कर ब्याज दर बढ़ादे पर नकदी की आपूर्ति न रोके.’’प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रिजर्व बैंक के इन कदमों को अस्थायी उपाय बताया था और कहा था कि विदेशी बाजार में स्थिरता लौटने के साथ ये पाबंदियां हटा ली जाएगी. इधर फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा ‘‘मैं आशा करती हूं कि नीति में स्थिरता रहेगी क्यों कि ब्याज दर में बढ़ोतरी उद्योग और औद्योगिक वृद्धि के लिए बड़ा झटका लगेगा.’’ इस समय की नाजुक स्थिति में यह बहुत महत्पूर्ण है.’
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