नयी दिल्ली :अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन ने राहुल गांधी को बेहतर विकल्प बताया है. उन्होंने कहा था कि वो नरेंद्र मोदी को बतौर प्रधानमंत्री नहीं देखना चाहते.
अटल कहें तो पुरस्कार लौटा देंगे
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन से भारत रत्न लौटा देने की भाजपा सांसद चंदन मित्रा की मांग को लेकर गुरुवार को एक नया विवाद शुरू हो गया. इस मांग पर सेन ने कहा कि यदि भाजपा के शीर्ष नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहें तो वह पुरस्कार लौटा देंगे. भाजपा ने इस मांग को मित्रा की निजी राय कहकर इस प्रकरण को समाप्त करने की कोशिश की है जबकि कांग्रेस ने इस पर यह कहते हुए हमला बोला है कि यह भाजपा की फासीवादी मानसिकता को दर्शाता है.
सेन ने कहा, ‘एक भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा यह कहने का हक है कि कैसे शख्स को प्रधानमंत्री होना चाहिए. साथ ही अल्पसंख्यक समुदाय की चिंताओं को भी मुझे अपने जेहन में रखने का अधिकार है. चंदन मित्रा ने सही ही कहा कि मुझसे भारत रत्न छीन लेना चाहिए. लेकिन क्या वह ऐसा कर सकते हैं यह साफ नहीं है.‘
राज्यसभा सांसद और पत्रकार चंदन मित्रा ने ट्वीट किया था, ‘अमर्त्य सेन का कहना है कि वह नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहते हैं. क्या सेन इंडिया में मतदाता भी हैं? अगली एनडीए सरकार को अमर्त्य सेने से भारत रत्न छीन लेना चाहिए.‘मित्रा के इस मत का बीजेपी सांसद कृति आजाद ने भी समर्थन किया था.
गौरतलब है कि अमर्त्य सेन ने नरेंद्र मोदी की सेक्युलर छवि को कटघरे में खड़ा किया था. सेन ने कहा था कि 2002 में गुजरात में हुए दंगों में सैकड़ों मुस्लिम मोदी के मुख्यमंत्री रहते मारे गए. उन्होंने कहा था कि 2002 का सांप्रदायिक दंगा इतनी जल्दी भूलना मुश्किल है.