नयी दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के रिटायरमेंट के चंद दिनों के भीतर ही मौजूदा चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम ने उनके एक फैसले की कड़ी आलोचना की है. एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक मामला जेपी एसोसिएट्स नाम की कंपनी का है जिसपर हिमाचल हाईकोर्ट ने 100 करोड़ का जुर्माना लगाया था. जिसपर कबीर ने राहत दे दी थी.
इस फैसले पर अब चीफ जस्टिस सदाशिवम ने कहा है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था. पूर्व चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के फैसले के चलते जेपी कंपनी 100 करोड़ रुपये के जुर्माने से बच गई थी. दरअसल जेपी पर आरोप है कि उसने सीमेंट फैक्ट्री बनाने की इजाजत लेने के लिए गलत तथ्य पेश किए. हम आपको बता दे कि सुप्रीम कोर्ट की ही ए.के. पटनायक बेंच ने हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कंपनी से कहा था कि वो वक्त पर जुर्माना भरे. लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस कबीर की बेंच ने जेपी को राहत देते हुए जुर्माना भरने की मियाद को आगे बढ़ा दिया. इसी फैसले पर मौजूदा चीफ जस्टिस पी सदाशिवम ने कड़ी टिप्पणी की है.
सदाशिवम ने कहा है कि जिस तरीके से अंतरिम आदेश पारित किया गया है. हम उसे मंजूरी नहीं देते, इस तरह का आदेश पास नहीं किया जाना चाहिए था.
चीफ जस्टिस सदाशिवम और जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने जेपी की उस अपील को खारिज कर दिया जिसमें जुर्माने के 25 करोड़ की किस्त की तारीख को आगे बढ़ाने की अपील की गई थी.
मालूम हो कि चार मई 2012 को हिमाचल हाईकोर्ट ने जेपी एसोसियट्स पर 100 करोड़ का जुर्माना ठोका था. जेपी पर आरोप था कि उसने गलत तरीके से सीमेंट प्लांट लगाने की इजाजत ली. पैसे 25 करोड़ की चार किश्तों में जमा किए जाने थे जो साल 2012, 2013,2014 में जमा होना था. वहीं 26 नवंबर को जेपी ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की लेकिन जस्टिस पटनायक ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
17 अप्रैल 2013 को मामला अल्तमस कबीर की अदालत में आया और जुर्माने की अगली किश्त के भुगतान पर 8 मई तक रोक लगा दी गई. 8 मई को मामला जुलाई के दूसरे हफ्ते तक टाल दिया गया और तबतक जुर्माने के भुगतान पर भी रोक लगा दी गई. 10 जुलाई को मामला 23 जुलाई तक टाल दिया गया और अब 23 जुलाई को मौजूदा चीफ जस्टिस की टिप्पणी आई है.