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मुखिया व पीआरएस पर प्राथमिकी तय

* वेन प्रखंड की तीन पंचायतों में वित्तीय गड़बड़ी करने का मामला * मनरेगा से जुड़े कागजात व साक्ष्यों को लेकर जुटी जांच टीम * नोहसा, बारा व एकसारा पंचायतों के मुखियाओं से की गयी पूछताछ बिहारशरीफ : मनरेगा के क्रियान्वयन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होकर अपनी अलग पहचान बनानेवाले […]

* वेन प्रखंड की तीन पंचायतों में वित्तीय गड़बड़ी करने का मामला

* मनरेगा से जुड़े कागजात व साक्ष्यों को लेकर जुटी जांच टीम

* नोहसा, बारा व एकसारा पंचायतों के मुखियाओं से की गयी पूछताछ

बिहारशरीफ : मनरेगा के क्रियान्वयन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होकर अपनी अलग पहचान बनानेवाले नालंदा की प्रतिष्ठा को वेन प्रखंड में इस योजना के तहत भारी पैमाने पर गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद काफी धक्का लगा है.

वेन प्रखंड की तीन पंचायतों में मनरेगा के प्रभार देख रहे पंचायत रोजगार सेवक के काले कारनामे जैसे-जैसे उजागर हो रहे हैं, लोग उसके दुसाहस पर हैरत हैं. जनशिकायत के आलोक में डीएम के निर्देश पर डीआरडीए के निदेशक जिउत सिंह के नेतृत्व में पांच सदस्यीय जांच दल द्वारा जैसे-जैसे इस मामले की जांच पीआरएस के काले कारनमे की कलई खुलती जा रही है तथा तीनों पंचायतों में मनरेगा के तहत करीब एक करोड़ रुपये की राशि के गबन का मामला सामने आ रहा है.

जांच दल द्वारा नोहसा, वारा एवं एकसारा पंचायत में उक्त पीआरएस के कार्यकाल के दौरान मनरेगा के तहत संचालित सभी योजनाओं के अभिलेख, चेक बुक मापी के मिलान के साथ हीं कई योजनाओं की भौतिक जांच एवं स्थानीय मुखिया एवं ग्रामीणों से पूछताछ भी की गयी है.

जांच टीम द्वारा पिछले करीब एक सप्ताह से अभिलेखों को खंगालने का काम किया जा रहा है. सूत्रों की माने तो जांच टीम द्वारा भारी पैमाने पर गबन के लिए पंचायत रोजगार सेवक के अलावा संबंधित मुखिया को दोषी करार देते हुए डीएम व डीडीसी को गुरुवार तक प्रतिवेदन सौंप दिये जाने की संभावना है.

बुधवार को जांच टीम द्वारा एकसारा के मुखिया रामनरेश पंडित, नोहसा के मुखिया संतोष कुमार एवं वारा पंचायत के मुखिया सुनील कुमार से भी संबंधित अभिलेखों के बारे में पूछताछ की गयी. सूत्रों के अनुसार इस मामले में पीओ को भी संदेह से परे नहीं माना जा रहा है.

जांच टीम द्वारा जांच के दौरान व्यय पंजी में कम दिखा कर अधिक राशि निकालने, मापी पुस्तिका से अधिक भुगतान किये जाने, अभिलेख में बिना उल्लेख चेक से भुगतान लेने, बिना मापी कराये भुगतान किये जाने जैसे कई तरीकों से राशि के गबन का मामला प्रकाश में आया है.

जांच के दौरान अभिलेख में दो हजार रुपये दिखा कर उसकी जगह 1.20 लाख रुपये की निकासी कर लेने जैसे कई मामले प्रकाश में आये हैं और इस तरह से 4,71,254 रुपये अधिक निकासी के तौर पर चेक संख्या 158483 से रिकॉर्ड में 91658 रुपये की निकासी को दरसाया गया है, जबकि वस्तुत: 94,118 रुपये की निकासी की गयी है. इस तरह के करीब 7 चेक से 4,71,254 रुपये की अधिक निकासी कर ली गयी है.

इसी प्रकार अभिलेख में बिना उल्लेख किये दिनांक 4 अगस्त 2010 से 8 जुलाई 2013 तक 21,97,971 रुपये 26 चेक के माध्यम से निकासी कर ली गयी. वहीं आधा दर्जन से अधिक योजनाओं में या तो बिना मापी कराये अथवा मापी पुस्त से अधिक 4,16,218 रुपये का भुगतान किया गया. मनरेगा योजना के तहत पंचायत स्तर पर खुले खाते से मुखिया व पीआरएस के संयुक्त हस्ताक्षर से राशि की निकासी के प्रावधान रहने के कारण पंचायत के मुखिया के इस गबन में संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता.

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