लता रानी
रांची:घर के कामकाज निबटाने के बाद बाहर की दुनिया में कदम रखनेवाली रांची की महिलाएं अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. अपने उद्यमिता से वह खुद तो स्वावलंबी हो ही रहीं है, साथ ही अन्य महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ कर उन्हें भी अपने पैरों पर खड़ा कर रही हैं. समाजसेवा के क्षेत्र में भी यह पीछे नहीं हैं. उद्यमिता के क्षेत्र में इनके बढ़ते कदम देख कर अन्य महिलाएं एवं युवतियां भी प्रेरित हो रही हैं. कोई अपने पति को सहयोग करने, तो कोई अपने माता–पिता के बेटे की कमी को पूरा कर उद्यमिता के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं.
डिजाइनिंग क्षेत्र में बनाया कैरियर
मात्र 21 वर्ष की उम्र में ही पल्लवी कोलकाता से फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई पूरी कर रांची आयी. आज शहर में वेस्टर्न वियर की मैन्युफैरिंग संभाल रही हैं. पल्लवी अपने माता–पिता की अकेली संतान है. रांची स्थित अपने पिता के फैक्टरी में इनके डिजाइन किये हुए वेस्टर्न वियर तैयार होते हैं. आज इनके डिजाइन किये हुए कपड़े शहर की कई दुकानों में देखे जा सकते हैं. इनके डिजाइन किये गये कपड़ों की बाजार में काफी मांग है.
माता–पिता की बनी हैं सहारा
दीक्षा तीन बहनें हैं. वे अपने माता–पिता के लिए बेटे की कमी को पूरा कर रही हैं. दीक्षा एक बेटे की तरह सारा कार्यभार संभाल कर अपने पिता की साड़ी के होलसेल के कारोबार में सहयोग कर रही हैं. दीक्षा अभी फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही हैं. साथ ही नये क्रियेशन के साथ साड़ी, कुर्ती व सलवार सूट की डिजाइनिंग कर ही हैं, जो शहर में बहुत पसंद किये जा रहे हैं.
गरीब महिलाओं की करती हैं मदद
नेहा शुरुआत में सिर्फ अपने पति को सहयोग करने के लिए उनके बिजनेस में आयी. आज पति के इमिटेशन ज्वेलरी के कारोबार को नेहा के अच्छे प्रबंधन ने ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया. आज नेहा ने दो दुकानें खोल ली है. अपनी दुकान में अब तक वह दस लड़कियों को रोजगार भी दे चुकी हैं. नेहा गरीब लड़कियों की शादी एवं दूर से आयी उद्यमी महिलाओं को काम शुरू करने के लिए आर्थिक सहयोग भी करती हैं. नेहा के मार्गदर्शन से कई महिलाएं अपना रोजगार चला रही हैं.
महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा
नीलम शुरुआत में अपने घर पर महिलाओं को क्राफ्ट वर्क सिखाया करती थी. उन्होंने देखा कि क्राफ्ट वर्क के जरिये महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ रही हैं, तो उन्होंने इस क्राफ्ट क्लास को बुटिक का रूप दे दिया. पांच सालों में उन्होंने अपने निर्देशन में पुरुष समेत 10 महिला कारीगरों को काम सिखा कर रोजगार भी दिया है. महिलाओं को अपने कारोबार से जोड़ कर स्वावलंबी बना रही हैं.