गंडामन व पीएमसीएच से लौट कर ठाकुर संग्राम सिंह/अमित कुमार
प्रभात खबर की टीम सोमवार को पीएमसीएच के शिशु इमरजेंसी वार्ड की ओर रुख करती है यह जानने के लिए कि मशरक के धर्मासती गांव स्थित गंडामन नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई मंगलवार को विषाक्त भोजन खाने के बाद बच्चों व रसोइयों की क्या हालत है.
वार्ड के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर चप्पे–चप्पे पर पुलिस का पहरा दिखा. पूछने पर पता चला कि वार्ड संख्या दो में सभी 24 बच्चों के अलावा रसोइया मंजू देवी व पन्ना देवी एडमिट हैं. वार्ड में जाने में हर किसी की सख्त मनाही थी. फिर भी किसी तरह वार्ड में पहुंचा गया.
पूरे वार्ड में बेड पर बीमार बच्चे दिखे. वार्ड में महिला –पुलिस व नर्सो की प्रतिनियुक्ति काफी संख्या में देखने को मिली. कल तक जिस वार्ड में बच्चों के चिल्लाने की आवाज थी, सोमवार को उस वार्ड में पूरी शांति थी. बच्चे अपने को सहज महसूस कर रहे थे एवं हर कोई पुराने सदमे को भूल कर घर जाने को व्याकुल दिख रहा था.
इसी बीच वार्ड में नाश्ते की गाड़ी पहुंचती है एवं हर बेड पर दो ब्रेड का पॉकेट, एक सुधा दूध का पॉकेट, दो सेब व दो कागजी नींबू दिया जाता है. वार्ड की स्थिति किसी अस्पताल की तरह नहीं, बल्कि घर के रूम की तरह देखने को मिली.
सभी बीमार बच्चे एक–दूसरे से घुले–मिले दिखे. इमरजेंसी वार्ड में भरती वर्ग तीन के आदित्य कुमार अपने बगल के बेड पर पड़े दोस्त से बातचीत में कह रहा था कि बुझा ता कि आज हमरा लोगन के घर भेजल जायी.
आदित्य सिरहाने बैठे अपने चाचा राजेंद्र राय से घर चलने का समय पूछ रहा था. वहीं, चाचा श्री राय बहुत जल्द घर चलने का दिलासा दे रहे थे. इसी बीच वार्ड में पहुंच कर डॉ हिमांशु ने अपने सहयोगी डॉक्टरों के साथ सभी बच्चों के स्वास्थ्य जांच की. बाद में डॉ हिमांशु ने बताया कि अब सभी बच्चे खतरे से बाहर है.
कुछ बच्चों के पेट में थोड़ा अभी दर्द है और कुछ बच्चे अभी सदमे से उबर नहीं सके हैं. लिहाजा मेडिकल टीम इन बच्चों की जांच करेगी एवं उसके बाद प्रशासनिक पहल पर स्वस्थ बच्चों को घर भेजा जायेगा.
सुरेंद्र पर टूटा विपत्तियों का पहाड़
पीएमसीएच के शिशु इमरजेंसी वार्ड में सोमवार को धर्मासती बाजार के गंडामन निवासी 45 वर्षीय सुरेंद्र प्रसाद से मुलाकात होती है उसके चेहरे पर छायी निराशा उसके दिल के दर्द को बयां कर रही थी. पूछने–पूछने पर वह फफक–फफक कर रोने लगा और अपना दर्द बयां कर कहा कि साहेब मिड डे मील ने तो हमारे परिवार की खुशियां ही छीन ली. उनके तीन बच्चों ने मध्याह्न् भोजन खाया.
10 वर्षीया बेटी ममता ने पीएमसीएच में पहुंचने के अगले दिन दम तोड़ दिया. वहीं, पहली कक्षा में पढ़ रहे छह वर्षीय बेटे उपेंद्र को कल ही आइसीयू से निकाला गया है. वहीं, चौथे वर्ग में पढ़ रही सविता का इलाज चल रहा है. इस घटना के सदमे को पत्नी आशा देवी सह नहीं सकी और वह अपना दिमागी संतुलन खो बैठी है. अब तो सविता व उपेंद्र ही जीने का आसरा है.
सोमवार को पीएमसीएच इमरजेंसी वार्ड में भरती बच्चों के अभिभावकों से जब पूछताछ की गयी, तो उनलोगों ने बताया कि बच्चों को चिकित्सकीय लाभ के साथ–साथ हर संभव सुविधा दी जा रही है.
अपनी सात वर्षीया पोती खुशी का इलाज कराने पहुंचे उमाशंकर मिश्र ने पीएमसीएच द्वारा मिलनेवाली सुविधाओं व वार्ड की साफ–सफाई पर संतोष जाहिर किया. वहीं प्रेमण कुमारी के पिता राजू महतो ने बताया कि डॉक्टरों के अथक प्रयास के कारण ही उनकी बेटी बच सकी है.
मंगल व्रत के कारण बची रसोइया पन्ना
शिशु इमरजेंसी वार्ड में बच्चों के साथ रसोइया मंजू देवी का इलाज चल रहा था. वहीं, दूसरी पंक्ति में रसोइया पन्ना देवी अपनी बीमार बेटी की देखभाल में लगी थी. वार्ड में मौजूद अभिभावकों ने बताया कि घटना के दिन रसोइया पन्ना देवी मंगलवार होने के कारण व्रत पर थीं. इस कारण वह रसोइया मंजू देवी के साथ भोजन नहीं कर सकी और बच गयीं.
उन्होंने अपने ही हाथों से अपने तीनों बच्चों को भोजन दिया था. इसमें इलाज के क्रम में दो बच्चों की मौत हो गयी. वहीं, एक बेटी का इलाज चल रहा था. अपनी बेटी के सिरहाने बैठी पन्ना फूट–फूट कर रो रही थी. मानो यह कह रही हो कि उसके हाथ से यह कौन–सा पाप हो गया.