नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय ने प्रसारण एवं प्रिंट मीडिया में एफडीआई सीमा बढ़ाने की किसी भी पहल का यह कहते हुए विरोध किया है कि संवेदनशील क्षेत्रों में और विदेशी निवेश की अनुमति देने से देश की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस मामले मे दिग्गज वैश्विक कंपनियों के अवांछित प्रभाव को लेकर आशंकित गृह मंत्रलय ने कहा कि समसामयिक टीवी चैनलों, समाचार पत्रों एवं समाचार व समसामयिक पठन सामग्री पेश करने वाली पत्रिकाओं को विदेशी निवेश के लिए खोलने से बाहर के लोगों को भारत के आंतरिक मामलों व राजनीति में हस्तक्षेप करने का मौका मिल सकता है.
मीडिया घरानों पर भारतीयों के नियंत्रण का पक्ष लेते हुए मंत्रलय ने कहा कि प्रसारण एवं प्रिंट मीडिया में एफडीआई बढ़ाने से विदेशी कंपनियों को किसी भी राष्ट्रीय संकट के दौरान प्रचार अभियान चलाने का मौका मिल सकता है. वर्तमान में, एफएम रेडियो, समाचार व समसामयिक टीवी चैनलों की अपलिंकिंग एवं प्रिंट मीडिया में 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है और वाणिज्य मंत्रलय ने इसे स्वत: स्वीकृत मार्ग के जरिए 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है.
गृह मंत्रालय की भारी आपत्ति के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में 16 जुलाई को हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में मीडिया में एफडीआई सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी गई. गृह मंत्रालय की भारी आपत्ति से संकेत लेते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी इस मामले पर ट्राई एवं भारतीय प्रेस परिषद से सलाह मांगी है.