देवघर : विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला आरंभ होने को चंद दिन ही शेष बचे हैं. श्रावणी मेला की सफलता के लिए जिला प्रशासन, पंडा धर्मरक्षिणी सभा, मंदिर प्रबंधन बोर्ड पूरी तैयारियों में जुट गयी है.
हर वर्ष मेले को सफल बनाने में स्थानीय लोगों, पुरोहितों के अलावा श्रद्धालुओं की भी परस्पर सहभागिता रही है. लोग जाति, धर्म के भेदभाव से ऊपर उठ पूरे सावन में भक्तों की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं. विरोध व समर्थन के स्वर के बीच इस बार श्रावणी मेला एक नयी व्यवस्था व नये प्रयोग के साथ शुरू हो रही है.
गर्भगृह में सीधे जलार्पण के बजाय इस वर्ष अरघा सिस्टम का प्रयोग भक्तों को लंबी कतारों से बचाने के लिए जिला प्रशासन ने टाइम स्लॉट रिस्ट बैंड के जरिये श्रद्धालुओं को सरल व सुलभ जलार्पण की व्यवस्था की है. इसे जिला प्रशासन की नयी व्यवस्था के साथ–साथ नये प्रयोग के तौर पर भी देखा जा रहा है. प्रयोग सफल हुआ तो हर साल इसी व्यवस्था के अनुरूप श्रद्धालु जलाभिषेक करेंगे.
श्रद्धालुओं का जल अर्पित होगा शिवलिंग पर
पुरानी व्यवस्था में गर्भगृह में श्रद्धालु भक्तों की भारी भीड़ होने की वजह से लोगों का जल यत्र–तत्र गिर जाता था. भीड़ के कारण कई श्रद्धालु दम घुटने से बेहोश हो जाते थे तो कइयों को गंभीर चोटें आती थी.
कई श्रद्धालु तो गर्भगृह के अंदर ही दम तोड़ देते थे. इन्हीं सारी बातों को लेकर भक्तों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन द्वारा अरघा सिस्टम की व्यवस्था की गयी है. इससे सभी श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के आसानी से शिवलिंग पर अरघा सिस्टम से जलाभिषेक कर सकेंगे.
नहीं लगना पड़ेगा लंबी कतारों में
हाल के वर्षो में कांवरियों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई है. इस कारण भक्तों की लंबी कतारें आठ से दस किमी तक जलाभिषेक के इंतजार में लगी रहती थी. लंबी कतारों को देख कई कांवरियों के सब्र का बांध टूट जाता था. 105 किमी की दूरी तय करने के बाद भी बिना जलाभिषेक किये ही वापस लौट जाते थे.
मगर टाइम स्लॉट रिस्ट बैंड के लागू होने से कांवरियों को लंबी कतारों में नहीं लगना पड़ेगा. उन्हें एक रिस्ट बैंड दी जायेगी जिसके तहत उन्हें निश्चित अवधि के अंदर जलाभिषेक का मौका मिल सकेगा. रिस्ट बैंड के लिए भक्तों को 10 रुपये का मामूली शुल्क चुकाना पड़ेगा. हालांकि इसके लिए भी प्रायोजक की तलाश की जा रही है. अगर प्रायोजक मिल गये तो भक्तों को यह शुल्क नहीं देने पड़ेंगे.