लखनऊ:जितना हल्ला था, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के जो तेवर थे, मंत्रियों को लेकर जिस तरह से सपा नेतृत्व तीन दिनों से कठोरता का इजहार कर रहा था, वैसा कुछ भी गुरूवार को हुए मंत्रिमंडल के विस्तार में नहीं झलका. इसे आने वाले लोकसभा चुनाव की मजबूरी कहें या फिर सपा का रणनीतिक दांव, अखिलेश सरकार ने नकारा मंत्रियों को हटाने संबंधी सर्जरी करने से बचते हुए केवल वक्ती इलाज करने का ही कदम उठाया है. इसके तहत मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में दो नए कैबिनेट मंत्री बनाए और दो राज्यमंत्रियों का प्रमोशन किया.
मुख्यमंत्री के इस फैसले के तहत बलिया नगर सीट से विधायक नारद राय और गाजीपुर के विधायक कैलाश यादव कैबिनेट मंत्री बने. नारद राय और कैलाश यादव मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में राज्य मंत्री रह थे. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राममूर्ति वर्मा को कैबिनेट मंत्री और अमेठी के विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति को प्रमोट करके स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया है. मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल से एक बात साफ रही कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए भले ही सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सरकार की छवि को लेकर बेचैन हों पर दोनों ने ऐसा कोई सख्त कदम उठाने से परहेज किया है जिससे पार्टी और सरकार में विवादों को बढ़ावा मिलता.
कहा जा रहा है कि इसके चलते ही मंत्रिमंडल में बड़े उठापटक से बचा गया. कैबिनेट मंत्री पारस नाथ यादव, ब्रह्मशंकर त्रिपाठी, बलराम यादव, अम्बिका चौधरी, ओम प्रकाश सिंह तथा मनोज पारस के कामकाज को लेकर मिली शिकायतों का नजरन्दाज किया गया. यही नहीं रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, मौलाना अहमद बुखारी के दामाद उमर खां, शैलेन्द्र सिंह यादव उर्फ ललई यादव तथा शाकिर अली को मंत्रिमंडल में शामिल करने का विचार अन्तिम समय में त्यागा गया. हालांकि इन नेताओं को सपा के वरिष्ठ नेतृत्व से मंत्री बनाए जाने का आश्वासन देते हुए लखनऊ में रहने को कहा था. लेकिन बुधवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ पार्टी सांसदों, वरिष्ठ मंत्रियों और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की हुई बैठक में यह तय किया गया कि मंत्रिमंड़ल से किसी को हटाया ना जाए, ना ही वरिष्ठ मंत्रियों के विभागों से छेड़छाड़ की जाये.
इसके चलते अतिपिछड़ा और भूमिहार समाज में पार्टी की पकड़ को मजबूत करने के लिए जहां नारद राय को कैबिनेट मंत्री बनाया गया वहीं गायत्री प्रसाद प्रजापति अति पिछड़ा वर्ग को खुश करने के लिए प्रमोट किया गया. गुरूवार को हुए इस विस्तार के बाद अब सूबे में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त 20 कैबिनेट, 6 स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री और 31 राज्य मंत्री हैं. विधान सभा के 403 सदस्यों की संख्या के आधार पर मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री को मिलाकर 60 सदस्य हो सकते हैं. इस लिहाज से मंत्रिमंडल में दो सीटें अभी भी खाली हैं. कहा जा रहा है कि सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड में फंसे पूर्व कैबिनेट मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को अदालत से क्लीनचिट मिलते ही उन्हें मंत्री बनाया जायेगा. फिलहाल शाकिर अली को मंत्री ना बनाए जाने से उनके समर्थक नाराज हुए हैं और इन लोगों ने देवरिया में मुख्यमंत्री का पुतला जलाकर अपना विरोध जताया है. ऐसा ही विरोध सपा को मंत्रियों के हटाए जाने पर भी झेलना पड़ सकता था, जिसका संज्ञान लेते हुए ही मुख्यमंत्री ने मंत्रिमड़ल विस्तार में सर्जरी करने की अपेक्षा वक्ती इलाज करने पर जोर दिया और दो नए लोगों को मंत्री बनाया तथा दो मंत्रियों के कद को बढ़ाकर मंत्रिमंड़ल विस्तार की खानापूरी कर दी.
।।राजेन्द्र कुमार।।