जमशेदपुर: कोल्हान विश्वविद्यालय में सिंडिकेट मीटिंग में लिये गये बड़े फैसले भी फाइलों में सिमट कर रह जाते हैं. विश्वविद्यालय में 20 जुलाई को हो रहे प्रथम वार्षिक दीक्षांत समारोह को लेकर भी एक बड़ा फैसला लिया गया था. फैसला था टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को ऑनररी काज़ा की उपाधि देने का. अब जबकि दीक्षांत समारोह की तैयारियां जोरों पर है, विश्वविद्यालय सिंडिकेट में लिया गया यह निर्णय भूल चुका है.
फैसले के बाद उपाधि के संबंध में रतन टाटा से विश्वविद्यालय को कंसेंट लेना था. साथ ही राज्यपाल सह कुलाधिपति को इसकी जानकारी देते हुए स्वीकृति लेनी थी. बावजूद विश्वविद्यालय की ओर से ये सारी प्रक्रिया पूरी नहीं की गयी. न तो रतन टाटा से कंसेंट लेने की पहल की गयी और न ही राजभवन को इस संबंध में कोई पत्र लिखा गया.
फाइल किसके पास?
दीक्षांत समारोह के ऐन मौके पर विश्वविद्यालय इस निर्णय को लेकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है. पूछने पर जवाब मिलता है कि फाइल पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार डॉ एसएस अख्तर के पास है. जबकि डॉ अख्तर पिछले करीब 10 महीने से बीआइटी मेसरा में योगदान कर रहे हैं. वह बताते हैं कि विश्वविद्यालय से लियन लीव लेते समय फाइल सौंपी दी थी. ऐसे में अब फाइल किसके पास है, यह भी एक सवाल बन गया है. सूत्रों की मानें, तो विश्वविद्यालय अब इस निर्णय को दबा देना चाहता है. विश्वविद्यालय का कोई अधिकारी फिलहाल इस पर चर्चा भी नहीं करना चाहता.