पटना: अब किसी भी बच्चे के गुम होने की सूचना मिलने पर पुलिस को अपहरण या मानव व्यापार कानून के तहत एफआइआर दर्ज करनी होगी. राज्य पुलिस मुख्यालय ने सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है कि हर गुमशुदा बच्चे के मामले में दंड प्रक्रिया संहिता 154 के तहत एफआइआर दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया जाये.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बचपन बचाओ आंदोलन बनाम भारत संघ एवं अन्य के मामले में ऐसा करने का निर्देश दिया है. पुलिस मुख्यालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक थानाध्यक्ष भविष्य में अपने थाने के पदेन किशोर कल्याण पदाधिकारी के नाम से भी जाने जायेंगे. जब थानाध्यक्ष थाने पर उपस्थित नहीं रहेंगे, तो थाना दैनिकी के प्रभार में रहनेवाले पुलिस अधिकारी इस जिम्मेवारी को निभायेंगे. चार माह में बच्चे के नहीं मिलने पर मानव व्यापार इकाई जांच करेगी.
हर थाने में होगी विधिक स्वयंसेवक की नियुक्ति
प्रत्येक थाने में होगी विधिक स्वयंसेवक की प्रतिनियुक्ति की जायेगी. ये स्वयंसेवक लापता बच्चों के संबंध में प्राप्त सूचना एवं बच्चों के विरुद्ध होनेवाले अपराधों के संबंध में प्राप्त सूचना पर पुलिस को सहायता करेंगे. इसके लिए सभी जिलों में कार्यरत विधिक सेवा प्राधिकार से संपर्क कर प्रतिनियुक्ति करने को कहा गया है.
प्रत्येक बरामद बच्चे की तस्वीर विज्ञापित की जायेगी : पुलिस मुख्यालय ने प्रत्येक बरामद बच्चे की तसवीर को विज्ञापित करने का निर्देश दिया है. इसके लिए बरामद बच्चे का तुरंत फोटो लेने और उसे वेबसाइट, अखबारों व दूरदर्शन पर भी प्रसारित करने को कहा है, ताकि लापता बच्चों के अभिभावक उन्हें पहचान सकें.