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मुंगेर में रेड अलर्ट

* दुमका में नक्सली हमला के बाद* नक्सलियों के निशाने पर रही है पुलिस।। राणा गौरी शंकर ।। मुंगेर : पुलिस नक्सलियों के निशाने पर रही है. यही कारण है कि बार-बार नक्सली वारदात में पुलिस नक्सलियों के शिकार भी होते रहे हैं. पूर्व बिहार एवं पूर्वोत्तर झारखंड में दर्जनों बार पुलिस नक्सलियों के शिकार […]

* दुमका में नक्सली हमला के बाद
* नक्सलियों के निशाने पर रही है पुलिस
।। राणा गौरी शंकर ।।
मुंगेर : पुलिस नक्सलियों के निशाने पर रही है. यही कारण है कि बार-बार नक्सली वारदात में पुलिस नक्सलियों के शिकार भी होते रहे हैं. पूर्व बिहार एवं पूर्वोत्तर झारखंड में दर्जनों बार पुलिस नक्सलियों के शिकार हुए हैं.

पाकुड़ में एसपी के काफिले पर हमले की घटना ने एक बार फिर पुलिस को अपने कार्यप्रणाली एवं सुरक्षा इंतजाम पर नये सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया है. पूर्व बिहार के जमुई, लखीसराय, बांका एवं मुंगेर में माओवादी लगातार पुलिस व हथियार को अपना निशाना बनाते रहे हैं. चाहे मुंगेर का ऋषिकुंड हो, लखीसराय का खैरा गांव या फिर जमुई का बटिया जंगल.

नक्सली पुलिस व हथियार को अपना सॉफ्ट टारगेट रखा है. अलबत्ता यह कि हर बार नक्सली अपने टारगेट को पूरा भी कर लेती है. इन क्षेत्रों में प्रशासनिक लापरवाही के कारण नक्सलियों को बढ़ने का भरपूर मौका मिला और आज यह नासुर बन गया है. जब भी कहीं कोई बड़ी नक्सली वारदात होती है तो मुंगेरवासियों को वर्ष 2005 की वह घटना जेहन में कौंध जाती है जब मुंगेर के जांबाज पुलिस अधीक्षक केसी सुरेंद्र बाबू को माओवादियों ने बारुदी सुरंग विस्फोट कर उड़ा दिया था.

भीमबांध का वह जंगल आज भी उस शहादत का गवाह है जिसमें पुलिसकर्मियों को मौत के घाट सुला दी गयी थी. पुलिस व हथियार को अपना टारगेट बनाते हुए नक्सलियों ने 2004 में कजरा रेलवे स्टेशन के पुलिस पीकेट पर हमला कर हथियार लूट लिये थे. 27 फरवरी 2007 को नक्सलियों ने लखीसराय के कजरा थाना अंतर्गत खैरा गांव में पुलिस पिकेट पर हमला कर बिहार सैन्य पुलिस नवम के चार जवानों की हत्या कर दी थी. जबकि चार अन्य जवान माओवादियों की गोली से घायल हो गये थे.

1 जनवरी 2008 को नक्सलियों ने पर्यटक स्थल ऋषिकुंड में बरियारपुर पुलिस व सैप के जवानों पर हमला कर जहां सैप के चार जवानों की हत्या कर दी थी. वहीं उसके एसएलआर राइफल लूट लिये थे. नक्सली लगातार पुलिस व उनके हथियारों को अपना टारगेट बनाता रहा है. वहीं 14 जून 2013 को जमुई में नक्सलियों ने झाझा-किऊल रेलखंड के कुंदर हॉल्ट के पास धनबाद-पटना इंटरसिटी ट्रेन को वेक्यूम कर चार लोग उतर गये. इनके उतरते ही ट्रेन में डय़ूटी पर मौजूद आरपीएसएफ के जवान भी ट्रेन से उतर गये. वैक्युम कर उतरे लोगों व जवानों के बीच बहस हुई और फिर चारों तरफ से फायरिंग शुरू हो गयी.

लगभग दो सौ की संख्या में अत्याधुनिक हथियार से लैस पुरुष व महिला नक्सलियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करते हुए ट्रेन को हाइजैक कर लिया. इसके बाद नक्सलियों ने पूरे ट्रेन में सर्च अभियान चलाया. इस दौरान जिन यात्रियों ने नक्सलियों का विरोध किया उन्हें गोली खानी पड़ी.

इसके बाद नक्सलियों ने आरपीएसएफ जवान सुकांत देवन पर पीछे से हमला कर उनका एके-47 छीन लिया और उसी हथियार से कई चक्र गोलियां चलायीं. जिसमें सुकांत देवन के अलावा बिहार पुलिस के सब इंस्पेक्टर अमित कुमार उर्फ बंटी तथा एक अन्य यात्री भागलपुर निवासी सरबर इसलाम की मौके पर ही मौत हो गयी. जबकि ट्रेन के गार्ड केपी सिंह सहित ट्रेन पर सवार दो दर्जन से अधिक यात्री बुरी तरह से जख्मी हो गये.

मुंगेर : पाकुड़ में नक्सली हमले में एसपी सहित सात पुलिस कर्मियों की मौत की घटना को देखते हुए नक्सल प्रभावित मुंगेर जिले में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है. पुलिस अधिकारियों को जहां गश्ती के दौरान सुरक्षा मापदंडों को पालन करने के सख्त निर्देश दिये गये है. वहीं भीमबांध स्थित सीआरपीएफ एवं एसटीएफ कैंप को विशेष चौकसी बरतने को कहा गया है.

पुलिस अधीक्षक नवीन चंद्र झा ने कहा कि पाकुड़ की घटना को देखते हुए नक्सल प्रभावित सभी थानों को जहां रेड अलर्ट कर दिया गया है. वहीं वितंतु संवाद के माध्यम से कई आवश्यक व महत्वपूर्ण निर्देश दिये गये है. इसके तहत पुलिस कर्मियों, थाने एवं पुलिस कैंपों की सुरक्षा कड़ी कर दी गयी है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस कर्मी सुरक्षा के मानकों का पुरी तरह से पालन करेंगे. इसके साथ ही भीमबांध जंगल में स्थापित सीआरपीएफ व एसटीएफ को भी सर्तक कर दिया गया है.

विदित हो कि नक्सलियों के गढ़ भीमबांध में गत माह सीआरपीएफ व एसटीएफ के कैंप स्थापित किये गये है. नक्सली पूर्व से ही इसका विरोध करता रहा है. कैंप खुलने से पहले ही भीमबांध में एक पुलिया को उड़ा कर माओवादियों ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी. इधर 29 जून को सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत मुंगेर जिला प्रशासन ने नक्सलियों के गढ़ भीमबांध में लोगों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकारी योजनाओं से लाभांवित किया है. जिसका नक्सली अपने स्तर से गहन समीक्षा कर रही है.

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