गिरिडीह : झारखंड-बिहार के इलाके में गिरिडीह जिले के नक्सलियों की गतिविधियां शुरू से ही रही है. मगर गिरिडीह के नक्सलियों का दबदबा संताल परगना के इलाके में कुछ विशेष रूप से रहा है.
इस इलाके में भाकपा माओवादी संगठन को विस्तार करने व सदस्य बनाने में गिरिडीह के कई नक्सली काम कर चुके हैं और गिरिडीह जिले के हार्डकोर नक्सलियों को संगठन ने महत्वपूर्ण जवाबदेही भी सौंपी है. अभी भी गिरिडीह के रहने वाले कई नक्सली इस इलाके में सक्रिय हैं.
यहां पर संगठन विस्तार करने का काम बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी के मेंबर रहे नवीन मांझी ने भी किया था. नवीन अभी जेल में बंद है, लेकिन संथाल में नक्सलवाद की पैठ मजबूत करने में इसकी भूमिका अहम रही है. नवीन के अलावा जीतन मांझी उर्फ जीतू मांझी भी यहां पर संगठन की कमान थाम कर काम करता रहा है.
गिरिडीह के निमियाघाट थाना क्षेत्र के टेसाफुली का रहने वाला यह नक्सली संगठन में जोनल कमांडर रहा है, जिसे पिछले दिनों दुमका पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है और अभी जीतन जेल में बंद है. इस हार्डकोर नक्सली के ऊपर कई कुख्यात योजनाओं को अंजाम देने का श्रेय है.
झारखंड के कई बहुचर्चित कांडों में इसे नामजद अभियुक्त बनाया गया है. बताया जाता है कि इसी जीतन मरांडी के ऊपर चिलखारी नरसंहार जैसी घटना को अंजाम देने का श्रेय है. इस घटना में बाबूलाल मरांडी के बेटे अनूप मरांडी समेत 19 लोगों की हत्या कर दी गयी थी.
26 अक्तूबर 2007 की घटना के बाद जीतन मरांडी गिरिडीह के इलाके से निकल गया और इसे संगठन में एसपी जोन का महत्वपूर्ण कार्यभार सौंप दिया गया. इसी तरह डुमरी थाना क्षेत्र के करमा बहियार का रहने वाला रवि मरांडी भी इस इलाके में संगठन का जोनल कमांडर का पद संभाल चुका है.
एसपी जोन के जोनल कमांडर के पद पर रहते हुए इस नक्सली ने कई घटनाओं को अंजाम भी दिया था. रवि को भी गिरिडीह पुलिस ने कुछ माह पूर्व गिरफ्तार किया है. इन नक्सलियों के अलावा एसपी जोन का सचिव प्रबील दा उर्फ प्रवीण भी गिरिडीह के पीरटांड़ का रहने वाला है.
प्रबील के अलावा गांधी उर्फ करमचंद भी गिरिडीह के पीरटांड़ का रहने वाला है. इन नक्सलियों के अलावा संथाल परगना इलाके में कई नक्सली हैं, जो गिरिडीह के रहने वाले हैं. ऐसे में कहा जाय तो संथाल परगना इलाके में गिरिडीह के नक्सलियों का एक अलग ही दबदबा रहा है.
– राकेश/अमरनाथ –