नयी दिल्ली : पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार को पंचायत चुनाव में विलंब करने के लिये आड़े हाथ लेते हुये उच्चतम न्यायालय ने आज 11 जुलाई से प्रस्तावित पांच चरणों के चुनाव कार्यक्रम में किसी प्रकार का बदलाव करने से इंकार कर दिया. न्यायालय ने पिछले सप्ताह ही पंचायत चुनाव पांच चरणों में 11,15,19,22 और 25 जुलाई को कराने का निर्देश दिया था. न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ ने रमजान की अवधि के मद्देनजर पंचायत चुनाव 10 जुलाई से पहले या फिर नौ अगस्त के बाद निर्धारित करने की पश्चिम बंगाल सरकार और कुछ गैर सरकारी संगठनों का अनुरोध ठुकरा दिया.
न्यायालय ने कहा कि वह मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का सम्मान करता है लेकिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इनके चुनाव कराने के सांविधानिक प्रावधानों की अनदेखी नहीं की जा सकती है. न्यायालय ने कहा कि इससे पहले चुनाव की तारीखें निर्धारित नहीं की जा सकती हैं क्योंकि केंद्र सरकार दस जुलाई से पहले सुरक्षा बल मुहैया कराने में असमर्थता व्यक्त कर चुकी है.
न्यायाधीशों ने राज्य सरकार और गैर सरकारी संगठनों से जानना चाहा, ‘‘क्या हमें (तारीखों में बदलाव करके) संविधान का उल्लंघन करना चाहिया या फिर बगैर सुरक्षा के ही चुनाव की अनुमति देनी चाहिए.’’ न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों को संविधान के अनुरुप ही काम करना चाहिए और इसके साथ ही उसने इस मसले में विलंब के लिये राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया.
न्यायाधीशों ने कहा कि यदि आप समय से चुनाव कराना चाहते थे तो आपको पहले ही उचित कदम उठाने चाहिए थे. निश्चित ही यह विलंब करने वाला रवैया है. न्यायाधीशों ने कहा कि हम चुनाव कार्यक्रम में बदलाव नहीं कर सकते हैं. राज्य सरकार को हमारे आदेश के मुताबिक ही अधिसूचना जारी करनी होगी.