गढ़वा : गढ़वा जिले में प्रधानाध्यापकों के भारी अभाव के कारण प्राथमिक शिक्षा वर्षो से विकट स्थिति से गुजर रही है. यहां मवि में कुल 144 स्थायी प्रधानाध्यापक के पद सृजित हैं. लेकिन वर्तमान में मात्र 10 प्रधानाध्यापक ही कार्यरत हैं.
शेष विद्यालयों में यह पद प्रभारी के रूप में चल रहा है. प्राथमिक विद्यालयों में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं हैं. गौरतलब है कि इन्हीं 10 प्रधानाध्यापकों के भरोसे लगभग 650 प्राथमिक व 144 मवि का वेतन आदि संबंधी वित्तीय कार्य होता है.
विदित हो कि इन्हीं 10 नियमित प्रधानाध्यापकों को निकासी व व्ययवन पदाधिकारी का अधिकार प्राप्त है. जिले में मात्र नगर उंटारी प्रखंड के भोजपुर मवि में अनिल कुमार सिंह, मेराल के बाना मवि में सुरेंद्र मिश्र, चिनिया मवि में दुर्गेश दुबे, भंडरिया में अरुण कुमार, मझिआंव के मोरबे मवि में वृजमोहन मिश्र, कांडी के राणाडीह मवि में मथुरा प्रसाद मेहता, गढ़वा के लगमा मवि में ह्षिकेश दुबे, अंडवा में रामश्रय शुक्ला, मेराल कमवि में रामजनम तिवारी तथा दर्मी नवाडीह में विंध्याचल सिंह प्रधानाध्यापक के पद पर हैं.
यहां भवनाथुपर, रमकंडा, रंका, डंडई, धुरकी, खरौंधी, रमना, विशुनपुरा, बरडीहा, सगमा, डंडई जैसे प्रखंडों में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं हैं. जिले के प्रधानाध्यापक विहीन सभी विद्यालय का जुड़ाव वेतन निकासी व अन्य वित्तीय कार्यो के लिए इन्हीं 10 प्रधानाध्यापकों से है.
समझा जा सकता है कि 700 से अधिक विद्यालयों का कार्य बोझ इन प्रधानाध्यापकों पर कितना अधिक होगा. यद्यपि जिला शिक्षा स्थापना समिति द्वारा यहां शिक्षकों को प्रोन्नति देकर प्रधानाध्यापक की कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. परंतु यह बताया गया कि यदि प्रोन्नति संबंधी प्रक्रिया पूरी होती है, तो लगभग एक दर्जन प्रधानाध्यापक जिले को मिल सकेंगे. फिर भी कमी बनी रहेगी.
– देवदत्त चौबे –