नयी दिल्ली : इशरत जहां एनकाउंटर मामले में सीबीआई बैकफुट पर आ गयी है. चार जुलाई को सीबीआई स्टे्टस रिपोर्ट दायर करने वाली है लेकिन अब उसमें न तो नरेंद्र मोदी का जिक्र होगा और न ही अमित शाह का. खबर यह भी है कि आईबी अधिकारी राजेंद्र कुमार का नाम भी रिपोर्ट में नहीं होगा.
सीबीआई अफसरों ने बताया कि इस रिपोर्ट में ‘सफेद दाढ़ी’ और ‘काली दाढ़ी’ नहीं है. अब तक माना जा रहा था कि सीबीआई इन दोनों तरह की दाढ़ियों की आड़ में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह पर शिकंजा कस सकती है.
इशरत जहां एवं अन्य के फर्जी मुठभेड मामले की जांच करने वाली सीबीआई द्वारा चार जुलाई को पेश किये जाने वाले पहले आरोप पत्र में इंटेलीजेंस ब्यूरो के विशेष निदेशक राजेन्द्र कुमार का नाम नहीं होगा. एजेंसी इस मामले में साजिश से जुड़े आयाम की जांच के लिए अदालत से और समय मांगेगी.
इंटरपोल सम्मेलन से इतर सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने गुजरात उच्च न्यायालय से वायदा किया है कि हम चार जुलाई को आरोप पत्र दाखिल करेंगे और हम अपनी समयसीमा को बरकरार रखेंगे.हम प्रारंभिक आरोपपत्र दाखिल करेंगे.’’ यह मामला मुम्ब्रा की 19 वर्षीया इशरत जहां समेत चार लोगों की हत्या और इस आरोपों से जुड़ा है कि 2004 में मुठभेड़ में मारे जाने से पहले चारों गुजरात पुलिस की हिरासत में थे.
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच का कार्य सीबीआई को सौंपा था और एजेंसी इस मामले में एक आरोपी कुमार को गवाह बनाने में कामयाब रही जो 1979 बैच के आईएसएस अधिकारी हैं और उस समय अहमदाबाद में इंटेलीजेंस ब्यूरो में संयुक्त निदेशक के पद पर तैनात थे. सूत्रों ने बताया कि एजेंसी इस मामले में साजिश के आयामों की जांच के लिए अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के तहत अदालत से और समय मांगेगी.