सासाराम (नगर) : चंदतन शहीद पीर रहमतुल्लाह अलैह के उर्स के मौके पर सैलानियों की भीड़ बुधवार को चंदतन शहीद पीर की पहाड़ी पर स्थित मजार पर उमड़ पड़ी. कई राज्यों के श्रद्धालुओं ने चंदतन शहीद पीर के मजार पर चादरपोशी की.
हालांकि, समारोह के बीच में बारिश ने मजा किरकिरा किया, लेकिन श्रद्धालुओं को पहाड़ी पर स्थित पीर बाबा के मजार तक पहुंचने में को बाधा नहीं बन सकी.
गौरतलब है कि शहर के पूर्वी छोर पर स्थित चंदतन शहीद पीर पहाड़ी पर स्थित हज़रत चंदतन शहीद पीर रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स शब-ए-बरात के दूसरे दिन से शुरू होकर तीन दिनों तक चलता है.
बाजाब्ता गठित कमेटी के तत्वावधान में पीर के उर्स को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. उर्स के मौके पर लोग पीर बाबा के मजार पर फातिहा व चादरपोशी आदि करते हैं. इस दौरान वृहद मेला भी लगता है. पहाड़ी के समीप झरने का लोग आनंद उठाते हैं और जलसा करते हैं.
यूपी-बंगाल के लोगों ने भी की चादरपोशी
कैमूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित चंदतन शहीद पीर के मजार पर बिहार के अलावा समीपवर्ती यूपी व पश्चिम बंगाल से भी काफी संख्या में सैलानियों ने चादरपोशी कर अपनी मन्नतें मांगीं. सुबह से ही मजार तक जानेवाली न्यू एरिया व एसपी जैन कॉलेज पथ सैलानियों की आवाजाही से गुलजार रहा. वाहनों की काफिले से पूरा मार्ग ठसाठस भरा रहा.
पुरातत्व विभाग की आमदनी बढ़ी
शब-ए-बरात के उपलक्ष्य में चंदतन शहीद पीर के पास लगे उर्स मेले से पुरातत्व विभाग की आमदनी में इजाफा हुआ. उर्स मेले में पहुंचनेवाले हर सैलानी ने ऐतिहासिक स्थल शेरशाह मकबरा का दीदार किया.
पुरातत्व अधिकारी नीरज कुमार की मानें तो, सामान्य दिनों की अपेक्षा विभाग को काफी आमदनी हुई. शाम पांच बजे तक सैलानियों के घूमने से प्राप्त आमदनी का ब्यौरा एकत्रित नहीं हो पाया. आमदनी का सही ब्यौरा देर रात तक मिलने की उम्मीद है.
संस्था ने निभायी अहम भूमिका
उर्स मेले के मौके पर प्रतिज्ञा सेवा संस्था के सदस्यों ने सैलानियों की सहायतार्थ अहम भूमिका निभायी. सदस्य सुबह से ही सैलानियों क ी सहायता में पानी व प्राथमिक उपचार से संबंधित कई सुविधाएं देने में जुटे रहे, ताकि मेले में आये सैलानियों को परेशानी न हो. जिला पर्षद की अध्यक्षा प्रमीला सिंह ने उर्स मेले के अवसर पर सभी श्रद्धालुओं व दर्शनार्थियों को शुभकामना देते हुए कहा कि यह पर्व हिंदू-मुसलिम एकता को नयी पहचान देता है.
इस दौरान सुहैल राइन, कृष्ण कुमार, अरशद हुसैन, कोहिनूर कुमार, आफताब आलम, मोहम्मद रूस्तम, मोहम्मद शहजाद, जावेद आलम, जाकिर हुसैन, शहबाज आलम आदि
ने इसमें बढ़-चढ़ कर योगदान दिया.