नयी दिल्ली : उत्तराखंड में बारिश, अचानक आयी बाढ़ के कारण त्रासदी का मंजर ऐसा भयावह और प्रलयंकारी है कि केदारनाथ मंदिर में गर्भगृह और भगवान शिव के स्वयंभू लिंग तक मलबा जमा हो गया है, साथ ही आसपास के कई गांव बह गये हैं.
केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित दिनेश बगवाड़ी ने बताया मंदिर परिसर में मलबा काफी मात्रा में भरा हुआ है. मंदिर के गर्भ गृह तक मलबे का अंबार लगा है. भगवान शिव के स्वयंभू ज्यार्तिलिंग तक मलबा आ गया है. शिवलिंग का सिर्फ कुछ भाग ही दिखाई दे रहा है.
उन्होंने कहा, मंदिर परिसर में मलबे के नीचे काफी संख्या में लोगों के शव हैं. भयानक दृश्य है, मैं इसे बता नहीं सकता. मेरे अपने परिवार के पांच लोगों की इस आपदा में मौत हो गयी. बगवाड़ी उस शिष्टमंडल में शामिल थे, जिन्होंने शनिवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से भेंट की और इस आपदा के बारे में उनसे चर्चा की.
यह पूछे जाने पर कि क्या अस्थायी तौर पर पूजा का स्थान बदलने पर विचार किया जा रहा है, उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य पुजारी (जिन्हें रावल कहा जाता है) के हवाले से इस पर विचार करने की बात सामने आई है लेकिन यह इतना आसान नहीं है.
इस बारे में अभी स्पष्ट रुप से कोई जानकारी नहीं है क्योंकि मंदिर परिसर तक पहुंचना और उसे बहाल करना पहली चुनौती और बड़ा काम है. मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि आसपास के कई गांव जल की तेज धारा में बह गए हैं. कुछ लोगों के घर जो बचे हैं उनमें तीन फुट से अधिक तक मलबा भर गया है. कुछ नहीं बचा है, सब कुछ तबाह हो गया है.
बगवाड़ी ने कहा कि पूजा की प्रक्रिया और स्थान परिवर्तन जैसे विषयों पर ब्रदी-केदारनाथ समिति निर्णय करती है लेकिन अभी चुनौती मंदिर परिसर में मलबे को साफ करना और वहां दबी लाशों को निकालना है.
उत्तराखंड में अभी भी कई हजार लोग फंसे हुए हैं, बड़ी संख्या में लोग कुदरत के कहर में अपनी जान गंवा चुके है. कुछ खुशकिस्मत अपनी जानबचाकर लौटे तो हैं लेकिन कई ऐसे भी हैं जिन्होंने आंखों के सामने अपनों को मरते देखा.
केदारनाथ मंदिर के मुख्य तीर्थ पुरोहित ने कहा कि आपदा के बाद स्थिति ऐसी थी कि किसी ने लाशों के साथ रातें बितायीं तो किसी का हाथ छूटते ही उनके अपने पानी की तेज धारा में बह गए.
उन्होंने कहा कि 16 जून को शाम करीब आठ बजे के बाद अचानक मंदिर के ऊपर वाले पहाड़ी भाग से पानी का तेज बहाव आता दिखा. इसके बाद तीर्थ यात्रियों ने मंदिर में शरण ली. रातभर लोग एक दूसरे को ढांढस बंधाते दिखे. अगले दिन सुबह फिर पानी की तेज धारा आयी और इसमें सब कुछ तबाह हो गया.