जालंधर: भारतीय सेना को असली नायक करार देते हुए क्रिकेटर हरभजन सिंह ने आज यहां कहा कि उत्तराखंड में तबाही का जो मंजर मैने देखा है वह रुह कंपा देने वाला था और वह ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि फिर किसी को ऐसी तबाही का सामना नहीं करना पडे. इसके साथ ही वह मुश्किल घडी में धैर्य पूवर्क काम करने वाली सेना को सलाम करते हैं.
हेमकुंड साहिब की यात्रा से वापस लौटे हरभजन सिंह ने कहा, ‘‘मेरे पास शब्द नहीं है. मैं तबाही के उस मंजर को शब्दों में बयां नही कर सकता. उस जबरदस्त बारिश के बीच मची तबाही को मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकता क्योंकि ऐसा मैंने पहले कभी नहीं देखा और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि यह दृश्य हर किसी के लिए आखिरी हो.’’
हेमकुंड साहिब और उसके आस पास मची तबाही से लोगों को बचाने और राहत पहुंचाने के सेना के काम की प्रशंसा करते हुए भज्जी ने कहा, ‘‘सेना और अर्धसैनिक बल ही असली हीरो हैं. वह देश की रक्षा के अलावा मानवता के लिए काम करते है. जब जब देश में मुश्किल वक्त आता है सबसे पहले यही कमान संभालती है. मैं सेना और मौके पर मौजूद आईटीबीपी के जवानों को सैल्यूट करता हूं.’’
यह पूछे जाने पर कि उनका कैसा अनुभव रहा, भज्जी ने कहा, ‘‘मैं पहली बार हेमकुंड साहिब की यात्रा पर गया था. अचानक मौसम खराब हो गया. इसके बाद जो स्थिति हुई उससे रास्ते में ही रुक जाना पडा. वह मंजर दिल को दहला देने वाला था. मैं इसे कभी नहीं भूल सकता.’’
हरभजन ने कहा, ‘‘परिवार और दोस्त को मिला कर हम 12 लोग वहां गए थे. हम जिस शिविर में थे वह उंचाई पर था. हर वक्त ऐसी खबरें आती थी जिससे आपको थोडा डर लगता था. उस वक्त आप कुछ नहीं कर सकते थे. प्रार्थना और दुआ के अलावा आपके पास करने को कुछ भी नहीं था.’’
भज्जी ने कहा, ‘‘नीचे पानी का तेज बहाव साफ दिख रहा था. खबरें आती कि आस पास के छह सात गांव बह गए हैं. गोविंद घाट की पार्किंग नदी में तब्दील हो चुकी है. पार्क की हुई सभी गाडियां बह गयी है. होटल भी पानी में समा गया है. पहाड भी गिर रहे हैं. रास्ते टूट गए हैं. बसें बह गयी है. पता चलता कि पहाड कभी भी गिर सकता है. कुल मिला कर दिल दहला देने वाला अनुभव था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुश्किल वाला समय था. उस वक्त भी बहुत से ऐसे लोग थे जो वहां साहस के साथ काम कर रहे थे. उन्होंने मुश्किलों का सामना किया. साहस से काम लिया और वापस अपने घर लौट कर आये.’’
हरभजन ने कहा, ‘‘मैं जब वापस देहरादून आ रहा था तो रास्ते में तबाही का मंजर देखा. जाने के दौरान जिन हरे भरे गांवों को देखा था अब वहां कुछ भी नहीं था. सब कुछ बह चुका था. यह मेरे लिए सदमा था. ऐसी बारिश मैने पहले कभी नहीं देखी. तबाही का वह मंजर भी कभी नहीं देखा.’’ यह पूछने पर कि क्या आप दोबारा हेमकुंड साहिब की यात्रा पर जायेंगे, भज्जी ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर जाउंगा. बाबाजी की कृपा होगी तो अबकी दर्शन करके आउंगा. मैं पहले कभी नहीं गया था. इस बार गया तो आधे रास्ते से वापस लौट आना पडा पर अगली बार दर्शन जरुर करुंगा.’’
हरभजन ने कहा, ‘‘हम छह लोग वापस आ गए हैं. बाकी छह लोग अभी भी जोशी मठ में हैं और आज शाम तक देहरादून पहुंच जायेंगे. सेना का राहत अभियान चल रहा है और मैं दुआ करता हूं कि जितने लोग वहां फंसे हैं सब सही सलामत अपने घर पहुंच जायें.’’ उन्होंने कहा कि सेना और अर्धसैनिक बलों के अलावा स्थानीय लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं और अपने अपने स्तर से वहां काम कर रहे हैं. एक अन्य सवाल के उत्तर में भज्जी ने कहा, ‘‘मैने सेना के अधिकारियों से बातचीत की तो पता चला कि जोशी मठ से ऋषितेष तक का रास्ता आज शाम तक खुल जाएगा. जोर शोर से वहां राहत कार्य चल रहा है.
जहां सडकें धंस गयी है वहां पहाडों को काट कर सेना सडकें बना रही है. इसके अलावा उनका कहना है कि पहले वहां से जीवित लोगों को निकाला जाएगा इसके बाद शवों का निकालने का काम होगा.’’ यह पूछने पर कि कितने लोग मरे होंगे, उन्होंने कहा, ‘‘बहुत लोग मरे होंगे. हालांकि मेरे पास गिनती तो नहीं है लेकिन बहुत मरे होंगे और नुकसान भी बहुत हुआ है. हर तरफ नुकसान हुआ है और तबाही का मंजर दिख रहा है.’’