* सड़क पर सैकड़ों की संख्या में उतरे भाजपा कार्यकर्ता
बेतिया : राजग गठबंधन तोड़ने के लिए जदयू को दोषी करार देते हुए विश्वासघात दिवस को सफल बनाने को लेकर भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ता मंगलवार को सड़क पर उतरे. जदयू मुर्दाबाद, भाजपा जिंदाबाद, नीतीश कुमार इस्तीफा दो आदि के नारे लगाये गये.
शहर के विभिन्न सड़कों पर भाजपा कार्यकर्ताओं का जुलूस गुजरा और नारेबाजी की. बाइक पर सवार भाजपा युवा मोरचा के सैकड़ों कार्यकर्ता नारेबाजी किये और बंद को सफल बनाने की अपील की. हालांकि बंद समर्थकों की टोली सोवा बाबू चौक, लालबाजार चौक, मीनाबाजार, तीन लालटेन चौक, कविवर नेपाली चौक, हरिवाटिका चौक, रेलवे स्टेशन चौक और पावर हाउस चौक आदि चौक- चौराहों पर नुक्कड़ सभा की गयी.
* सांसद ने की अगुआई
विश्वासघात दिवस के अवसर पर बंद को सफल बनाने को लेकर निकले जुलूस की अगुवाई सांसद डॉ संजय जायसवाल और विधायक रेणु देवी समेत जिलाध्यक्ष संजय पांडेय, पूर्व जिलाध्यक्ष गंगा प्रसाद पांडेय, सत्येंद्र शरण ने की. सांसद ने कहा कि शांतिपूर्ण बंद का आह्वान शत – प्रतिशत सफल रहा. कार्यकर्ता और समर्थकों में जदयू के विश्वासघात को लेकर काफी नाराजगी है. उन्होंने कहा कि बीते विधान सभा चुनाव में भाजपा – जदयू के साझा एजेंडे पर जनमत प्राप्त हुआ था. जदयू को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए.
* प्रशासन रहा मुस्तैद
बंद के दौरान शांति व्यवस्था कायम रहे, इसके लिए प्रशासन काफी मुस्तैद रहा. चप्पे – चप्पे पर पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. विभिन्न चौक – चौराहों पर दंडाधिकारी के साथ पुलिस बल व पुलिस अधिकारी मुस्तैद थे. खुद एसडीएम रामा शंकर और एसडीपीओ रामानंद कुमार कौशल समेत अन्य अधिकारी गश्त लगाते रहे.
* रही सक्रिय भागीदारी
मौके पर भाजपा के दीपेंद्र सर्राफ, बबुआजी दूबे, आनंद सिंह, मोहन मुरारी पांडेय, विजय श्रीवास्तव, विजय ठाकुर, रवि सिंह, शिवेंद्र शिबू, चंदन सिंह, अरुण कुमार सिंह, मुतैबा कैसर, गीता चौधरी, श्याम जायसवाल, अनिता सिंह, जगू कुमार, संदीप पटेल, अभिषेक अग्रवाल, अमित मोटानी, पवन जायसवाल, जितेंद्र कुमार , राहुल कुमार समेत अन्य उपस्थित थे.
* टूटा याराना, तो बादल भी रोये
सुनील आनंदत्न17 वर्ष पुराना याराना टूटा है. कोई दो – चार घंटे की दोस्ती नहीं थी कि राह चलते हो गयी और चलते- चलते बाय कर दिया. इतने लंबे अंतराल की दोस्ती टूटी तो दर्द होगा ही. दोनों एक – दूसरे का संबल बने रहे. पर, सुदूर गांव – देहात में सुशासन की सरकार का डंका बजाने वाले समर्थक बेहद मायूस हैं. यूं कहें तो इस याराना के टूटने का दर्द प्रकृति को भी है.
भाजपा ने विश्वासघात दिवस मनाने की घोषणा की, तब से बादल भी मायूस हो गये. मायूस ऐसी कि विश्वासघात दिवस के 24 घंटे पूर्व से बादलों ने रोना शुरू किया. सोमवार की रात में बादल जम कर रोये. मूसलाधार बारिश ने भी भाजपा के बंदी को सफल बनाने की भरपूर कोशिश की. बारिश की वजह से शहर की अधिकांश दुकानें बंद रहीं. गांव से शहर में आ खरीदारी करने वाले ग्राहक भी नहीं आये. जिन दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोलीं थीं, उन्हें भी निराशा ही हाथ लगी.
* हाय! ये कैसी मजबूरी
गठबंधन टूटने के बाद भाजपाई सड़क पर उतरे. जिनको विकास पुरुष कह कर अपने आपको फक्र महसूस किया करते थे, उनके विरोध में ही नारेबाजी की. नौतन में तो भाजपा समर्थकों का गुस्सा इस कदर उबला कि प्रखंड परिसर में लगे सुशासन की सरकार का पोस्टर ही नोच डाला. प्रखंड परिसर में भाजपा के समर्थकों ने जम कर नारेबाजी की. एक वक्त था जब भाजपाई व जदयू नेता मुख्यमंत्री की लंबी उम्र की दुआ करते थे और अभ्ब मुरदाबाद के नारे भी लगाये.
* हाकिमों का बदला नजरिया
याराना क्या टूटा, हाकिमों का नजरिया भी बदल गया. सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे बाबू से लेकर अधिकारी तक एक फोन को अहमियत दिया करते थे. पर, जैसे ही रिश्ता टूटा, उनकी भाव – भंगिमा बदल गयी है. इसकी एक झलक मंगलवार को भाजपा के बंद के दौरान देखने को मिली. बंद की घोषणा तो प्राय: राजनीतिक पार्टियां करते रहती हैं. भाजपा की बंदी में तो स्वयं एसडीएम और एसडीपीओ सड़क पर थे. बंद के दौरान शांति – व्यवस्था कायम रखने की नसीहत भी दी.