2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए को बड़ा झटका लगा है. जदयू ने भाजपा से अलग होने की घोषणा कर दी. खुद राजनाथ सिंह ने भी स्वीकार किया कि टूट से कांग्रेस को हटाने की मुहिम कमजोर हुई है. इधर, जदयू के इस निर्णय से बिहार की राजनीति में आमूल परिवर्तन आ गया है, क्योंकि जदयू ने नाता तोड़ने की वजह भाजपा की गोवा घोषणा बतायी है, जिसमें नरेंद्र मोदी की ‘ताजपोशी’ की गयी थी. वहीं भाजपा ने इसे विश्वासघात बताते हुए बिहार बंद का एलान किया है.
पटना: 17 साल पुराना भाजपा-जदयू गंठबंधन रविवार को टूट गया. जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने रविवार को 1, अणो मार्ग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में इसकी घोषणा कर दी. शरद ने एनडीए के संयोजक पद से इस्तीफा देने की भी घोषणा की. रिश्ते खत्म होने के एलान के पहले मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से मिल कर अपनी सरकार में शामिल भाजपा के 11 मंत्रियों की बरखास्तगी की सिफारिश की, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया. तीन दिन बाद बुधवार (19 जून) को नीतीश सरकार विधानसभा के विशेष सत्र में विश्वास मत हासिल करेगी.
रविवार को ही जदयू के आला नेताओं की बैठक से थोड़ी देर पहले मुख्यमंत्री आवास में राज्य कैबिनेट की आपात बैठक हुई. इसमें 19 जून को बिहार विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र बुलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी. इधर, जदयू ने बदली राजनीतिक परिस्थिति में सोमवार को तीन बजे जदयू विधायक दल की विशेष बैठक बुलायी है. मुख्यमंत्री आवास में होनेवाली बैठक में जदयू के सभी मंत्री, सांसद, विधायक, विधान पार्षद, पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, जिलाध्यक्षों व प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों को आमंत्रित किया गया है.
ऐसे बनी सहमति : करीब दो घंटे तक चली जदयू की हाइ लेवल बैठक के बाद भाजपा के साथ संबंधों को खत्म करने की सहमति बनी. राष्ट्रीय स्तर पर जदयू अब एनडीए से अलग हो गया है. इसके पहले मुख्यमंत्री आवास पर राज्य कैबिनेट की बैठक हुई. कैबिनेट की बैठक में भाजपा के 11 मंत्री शामिल नहीं हुए. इसके बाद जदयू की बैठक से बाहर निकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजभवन पहुंचे. करीब आधे घंटे तक राज्यपाल में बिताने के बाद ढाई बजे जब वे बाहर निकले तो पत्रकारों से कहा कि 19 जून को हम विश्वास का मत हासिल करेंगे.