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छह माह में आंखों की जांच करायें

रांची: इस रविवार हेल्थ काउंसलिंग नेत्र रोग समस्या पर केंद्रित रही. हमारे साथ थे रेटिना विशेषज्ञ डॉ विक्रमजीत पाल (शंकर नेत्रलय, चेन्नई), जिन्होंने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. इसके अलावा उन्होंने रेटिना से संबंधित समस्याओं के विषय में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीज को आंखों से संबंधित समस्याएं होने का खतरा […]

रांची: इस रविवार हेल्थ काउंसलिंग नेत्र रोग समस्या पर केंद्रित रही. हमारे साथ थे रेटिना विशेषज्ञ डॉ विक्रमजीत पाल (शंकर नेत्रलय, चेन्नई), जिन्होंने पाठकों के सवालों के जवाब दिये. इसके अलावा उन्होंने रेटिना से संबंधित समस्याओं के विषय में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि डायबिटीज के मरीज को आंखों से संबंधित समस्याएं होने का खतरा आम लोगों के मुकाबले ज्यादा होता है.

रेटिना में समस्या होती है, जिसे डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है. इसमें आंखों में खून आने की शिकायत होती है. इसके होने के मुख्यत: दो कारण हैं. पहला डायबिटीज का नियंत्रण में नहीं होना. दूसरा शुगर लेबर में लगातार अंतर होता रहना. रेटिना की यह समस्या टाइप वन व टू दोनों ही तरह के मरीजों के लिए खतरनाक होता है. अत: डायबिटीज के मरीज को चाहिए कि वे हर छह माह के अंतराल पर परदे की जांच अवश्य करायें.

आंखों के परदे की दूसरी समस्या रैटिबलडिटैचमेंट कहलाती है. आम बोलचाल की भाषा में यह परदे का फटना कहलाता है. इसके तीन कारण हैं. पहला आंखों के पावर का बढ़ना, दूसरा किसी भी तरह की आंखों में चोट और तीसरा वंशानुगत. यदि किसी व्यक्ति को लगे कि उसकी नजर अचानक से कमजोर हो गयी है, आंखों के सामने काले धब्बे दिखायी दे रहे हों या फिर आंखों में बिजली की चमक है, तो बिना देर किये आंखों के परदे की जांच करानी चाहिए. इसके बाद अच्छे विशेषज्ञ से मिल कर इलाज कराना चाहिए.

डॉक्टर का पता
डॉ विक्रमजीत पाल, रेटिना विशेषज्ञ
कमल आई क्लिनिक, लालपुर, रांची
मोबाइल नंबर : 781016517

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